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योगी आदित्यनाथ के जीवन की बातें जिन्हें वो छुपाकर रखते हैं

महंत योगी आदित्यनाथ

गोरखपुर से सांसद और गोरक्षनाथ पीठ के वर्तमान महंत योगी आदित्यनाथ का अजय सिंह से योगी और अब मुख्यमंत्री बनने का सफर बड़ा ही रोचक है.

उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्से तो बड़े ही रोचक है.

बहुत सी बातों को तो योगी आदित्यनाथ ने लोगों से छुपाकर रखा था. वह इसलिए नहीं कि उनको किसी बात का डर था बल्कि इसलिए कि वो इनको लेकर प्रचार नहीं पाना चाहते थे.

महंत योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के यमकेश्वर ब्लॉक स्थित पंचूर गांव में आनंद सिंह बिष्ट के घर में हुआ है.

बचपन से मेधावी छात्र रहे योगी ने ऋषिकेश के इन्द्रानगर में दो साल रहकर श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई की.

उसके बाद उन्होंने कोटद्वार में रहकर गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित से बीएससी की.

आपको बता दें कि आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट वन विभाग में रेंजर पद से रिटायर अधिकारी हैं.

आदित्यनाथ का एक भाई शैलेंद्र बिष्ट गढ़वाल रायफल में है, तो दूसरा भाई महेंद्र बिष्ट यमकेश्वर (बिथ्याणी) में योगी द्वारा शुरू किए गए गुरु गोरखनाथ महाविद्यालय का संचालन करते हैं.

जबकि उनका बड़ा भाई, कोटद्वार -ऋषिकेश रूट पर अपनी बस चलाते हैं.

बहराल, अजय बिष्ट से महंत योगी आदित्यनाथ बनने का उनका सफर 1994 में शुरू हुआ, जिस वक्त अजय बिष्ट कोटद्वार डिग्री कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे. उस दौरान गोरखपुर मठ के प्रमुख महंत अवैद्यनाथ थे, जो योगी के रिश्ते में मामा लगते थे. महंत अवैद्यनाथ भी यमकेश्वर ब्लॉक के ही कांडी गांव के रहने वाले थे.

अवैद्यनाथ ने अपने भांजे को दीक्षा दी. गोखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने बाद में उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जिसके बाद 1998 में योगी सांसद चुने गए.

महंत योगी आदित्यनाथ जब 12वीं लोकसभा में सांसद बनकर पहुंचे तब उनकी उम्र मात्र 26 साल थी. इसके बाद आदित्यनाथ 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी लगातार सांसद चुने जाते रहे.

सितंबर 2014 में उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ के प्राण त्यागने के बाद वह गोरखपुर मंदिर महंत यानी पीठाधीश्वर बने.

लेकिन योगी आदित्यनाथ का परिचय बस इतना भर नहीं है. योगी आदित्यनाथ भाजपा के सांसद होने के साथ साथ हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं. हिन्दू युवा वाहिनी युवाओं का एक सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है, जो ईसाई धर्मांतरण से लेकर मुस्लिमों द्वारा की जाने वाली दबंगई के खिलाफ हर समय मुखर रहता है.

2005 में महंत योगी आदित्यनाथ ने कथिततौर पर 1800 ईसाइयों का शुद्धीकरण कर हिन्दू धर्म में शामिल कराया. ईसाइयों के इस शुद्धीकरण का काम उत्तर प्रदेश के एटा जिले में किया गया. साथ ही वो मुस्लिमों की घर वापसी को लेकर भी काफी चर्चा में रहे.

आपको बता दें कि 7 सितंबर 2008 को सांसद महंत योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला भी हो चुका है. इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे, यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया.

वर्ष 2007 में गोरखपुर दंगे में एक युवक की मौत के बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया था.

लेकिन इन सब के बावजूद एक महंत और भगवाधारी कट्टर हिंदू वाली छवि के विपरीत योगी आदित्यनाथ का एक रूप ओर भी जो लोगों को बहुत कम ही मालूम है.

योगी के मठ के अंदर मुस्लिमों का न केवल बड़ी संख्या में आना जाना है बल्कि बीते 35 वर्षों से गोरखनाथ मंदिर के अंदर होने वाला हर निर्माण कार्य एक मुस्लिम की निगरानी में होता आ रहा है. यासिन अंसारी न केवल मंदिर में होने वाले निर्माण कार्य की देख रेख करते है बल्कि मंदिर के खर्च का हिसाब-किताब भी रखते हैं.