कई बार एहसास तो होता है कि आज अपनी दिल की कुछ बातें चलो माँ-बाप को बता देते हैं पर पास होते हुए भी उनसे कुछ बोल नहीं पाते हैं, आइये पढ़ते हैं उन बातों को जो कहना तो चाहते हैं माता-पिता से, पर कभी कह नहीं पाते हैं-
बेटा हो या बेटी, कई बार कुछ ऐसा हो ही जाता है जब हम आप अपने अभिभावकों को कहना तो चाहते हैं कि हम आपको बहुत प्यार करते हैं पर अक्सर एक झिझक हमको यह कहने से रोक ही लेती है.
पापा जी आते हैं कभी कभी जब थके हुए अपने ऑफिस से तो बस एक आवाज निकलती है दिल से पापा जी अब उम्र हो गयी अब नौकरी छोड़ दो. बेटा या बेटी कोई भी हो पर हम बोल नहीं पाते हैं क्योंकि जब यह बोलने का वक़्त होता है तब हम खुद जिंदगी में कहीं स्टैंड नहीं करते हैं.
जब कभी हम किसी एग्जाम में फेल हो जाते हैं. तो इतना इस बात का गम हमें नहीं होता है कि हम फेल हो चुके हैं, डर इस बात का लगता है कि अब माँ-बाप को बताया कैसे जाए कि हम फेल हो चुके हैं.
प्यार में जब भी कभी हमें धोखा मिलता है तो हम बहुत गमगीन हो जाते हैं. पूरा दिन घर में देवदास बनकर घूमते रहते हैं. चेहरा तो लूटा हुआ होता ही है हमारा, दिल भी टूटा होता है. माता-पिता को पता चलता है वह पूछते हैं पर कभी भी हम सच बता नहीं पाते हैं.
घर अगर हम लेट आते हैं तो माँ-बाप का गुस्सा देखकर डर जाते हैं. उनका सवाल होता है कि हम कहा था आज पूरे दिन? पर जवाब हम दे नहीं पाते हैं. दिल तो करता है कि आज सब सच बता दिया जाए पर नहीं, ना जाने क्यों हम बता ही नहीं पाते हैं.
बोल बेटा क्या तू सिगरेट पिता है ? दारू की बदबू तो तेरे कपड़ों में से आती है. पर हम कभी सच नहीं बोल पाते हैं. लड़का या लड़की हमारा सर ना में ही चलता है.
लड़का कभी अपने माता-पिता से बोल नहीं पाता है कि वह गे है और लड़की नहीं बोल बोल पाती है कि वह एक लड़की से प्यार करती है.
कई बार हम माँ-बाप के पैसों को सट्टेबाजी में गवा देते हैं. कई बार जुए में हार जाते हैं पर सच बताने की हिम्मत हम नहीं जुटा पाते हैं.
हम भारतीय लड़के/लड़कियां नहीं बता पाते हैं कि हम लव मैरिज करना चाहता हैं. लड़की अगर अंतरजातीय हो तो तो और नहीं बता पाते हैं.
कई बार हम अपने जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य, माता-पिता को बता नहीं पाते हैं. हमारा दिल नौकरी में नहीं लगता है पर अपने दूसरे सपने के बारे में उनको नहीं बता पाते हैं.
ऐसा अक्सर तब होता है जब हम फिल्म लाइन या फैशन की दुनिया में नाम कमाना चाहते हैं. या कोई अपना बिजनेस करना चाहते हैं.
माता-पिता भगवान का रूप होते हैं. माँ जो हमें अपने पेट में 9 महीने तक रखती है और जन्म के बाद हमारा लालन-पालन करती है. कभी माँ हमको बोझ नहीं समझती है. इसी तरह एक पिता हमें ऊँगली पकड़कर चलना सिखाता है. हमें पढ़ाता है, हमें एक सभ्य इंसान बनाता है.
अक्सर हम अपने माता-पिता के इस बलिदान को देख नहीं पाते हैं या जानकर भी नकारते रहते हैं.पर कई मौकों पर हमें एहसास होता है कि माता-पिता ही हमारी जिंदगी होते हैं. यही तो हमारे हमारे भगवान हैं. ये ना होते तो हम शायद कुछ ना कर पाते.
वक़्त बेशक आज बदल गया है पर भारतीय संस्कृति और समाज आज भी नहीं बदल पाया है, यही बात हमको बहुत कुछ कहने से रोक लेती है.
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