- मैं माधुरी दीक्षित/ अमिताभ बच्चन बनना चाहता हूँ
कई बार हम अपने जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य, माता-पिता को बता नहीं पाते हैं. हमारा दिल नौकरी में नहीं लगता है पर अपने दूसरे सपने के बारे में उनको नहीं बता पाते हैं.
ऐसा अक्सर तब होता है जब हम फिल्म लाइन या फैशन की दुनिया में नाम कमाना चाहते हैं. या कोई अपना बिजनेस करना चाहते हैं.
माता-पिता भगवान का रूप होते हैं. माँ जो हमें अपने पेट में 9 महीने तक रखती है और जन्म के बाद हमारा लालन-पालन करती है. कभी माँ हमको बोझ नहीं समझती है. इसी तरह एक पिता हमें ऊँगली पकड़कर चलना सिखाता है. हमें पढ़ाता है, हमें एक सभ्य इंसान बनाता है.
अक्सर हम अपने माता-पिता के इस बलिदान को देख नहीं पाते हैं या जानकर भी नकारते रहते हैं.पर कई मौकों पर हमें एहसास होता है कि माता-पिता ही हमारी जिंदगी होते हैं. यही तो हमारे हमारे भगवान हैं. ये ना होते तो हम शायद कुछ ना कर पाते.
वक़्त बेशक आज बदल गया है पर भारतीय संस्कृति और समाज आज भी नहीं बदल पाया है, यही बात हमको बहुत कुछ कहने से रोक लेती है.