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यह 10 बातें साबित करती हैं कि आप अपने आप को भीड़ में भी अकेला पाते हैं!

दुनिया में 600 करोड़ लोग हैं और हम सबकी ज़िन्दगी में 200-500 लोग तो होते ही हैं|

लेकिन कभी-कभी हालात कुछ ऐसे बन जाते हैं कि हम सभी भीड़ में भी खुद को अकेला खड़ा पाते हैं|

और ऐसे लोगों को, जो अक्सर खुद को भीड़ के बीच में भी अकेला पाते हैं, उन्हें एकाकी कहा जाता है! यानि कि उन्हें किसी और से ज़्यादा खुद के साथ रहना पसंद होता है!

अगर आप को भी ये एहसास होता है लेकिन आप ये फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि आप एकाकी हैं या नहीं तो आईये हम आप कि मदद करते हैं खुद को पहचानने में!

अगर नीचे दिए हुए 10 तथ्य आप के रोज़मर्रा के अनुभव बन गए हैं तो समझ लीजिये कि आप यक़ीनन एकाकी हैं! यानि कि आप अक्सर अपनेआप को भीड़ में भी अकेला पाते हैं!

1).  दोगले किस्म के लोगों से आज दुनिया भरी पड़ी है! अगर इन दोमुहें प्राणियों की कंपनी आप को काटने को दौड़ती है और आप खुद को ऐसे लोगों की भीड़ में खुद को अकेला पाते हैं तो यक़ीनन आप में एकाकी होने के लक्षण हैं!

2).  अक्सर ऑफिस में काम करते हुए या किसी ऑफिस के सहकर्मी से बातचीत करते हुए आप को ऐसा लगने लगता है कि आप को वहाँ नहीं कहीं और होना चाहिए! आप अक्सर बातचीत या काम में रुचि खो देते हैं! तो समझ लीजिये कि आप को अकेले रहना ज़्यादा पसंद है!

3).  सोशल मीडिया पर लोग आज कल ढेरों दोस्त बना कर अनापशनाप अपडेट करते रहते हैं! अगर आप उस अनापशनाप केटेगरी में नहीं आते हैं और लोगों की बेवकूफी भरी बातें पढ़ कर आप को हंसी आती है, तो ये तय है कि आप को भीड़ का हिस्सा बनना मंज़ूर नहीं!

4).  परिवार जनों के बीच बैठ के उनके हँसी-ठट्टे पर आपको मज़ा ना आये और आप वहाँ से निकलने के उपाय सोचने लगें तो मान लीजिये कि आप एकाकी हैं!

5).  सप्ताह के अंत में सभी दोस्त-ऑफिस के सहकर्मी पार्टी की तैयारी करें या कोई दोस्त या रिश्तेदार बिना सूचना अचानक ही आ धमके जब आप सोच रहे हों कि घर पर आराम से कोई किताब पढ़ेंगे या सिर्फ अपने साथ वक़्त बिताएँगे और आप उन के आने से खुश होने की बजाये ज़ोरदार तरीके से चिढ जाएँ तो यह तय है कि आपको अकेले रहना पसंद है|

6).  अगर आपके लिए अच्छा वक़्त बिताने की परिभाषा है घर पर अकेले रहना और सोच-विचार करते हुए वक़्त बिताना, एक तरह का मौन-व्रत धारण कर सन्नाटे से बातें करना तो ज़ाहिर सी बात है कि आप अकेलेपन का लुत्फ़ उठाते हैं!

7).  इंसानों को दुःख और ख़ुशी, दोनों ही वक़्त अपने आस-पास लोगों की ज़रुरत रहती है| अगर आप अकेले ही अपने दुःख से लड़कर बाहर निकल आते हैं और ख़ुशी में भी आपको किसी और की ज़रुरत महसूस नहीं होती तो यक़ीनन आपको अकेलापन खाता नहीं है, बल्कि भाता है!

8).  आम तौर पर लोग फिल्में देखने या तो सारे परिवार के साथ या दोस्तों के साथ जाते हैं| अगर आपने अकेले ही फिल्में देख कर उन में अपनी ख़ुशी ढूँढ ली है तो मान लीजिये कि एकाकी होना आपको पसंद आता है|

9).  पूरा साल छुट्टियों की तैयारी करते हैं लोग और कोशिश होती है कि सिर्फ परिवार ही नहीं, बल्कि एक पूरा मजमा एक साथ छुट्टियों पर जाए| लेकिन अगर आप की सारी प्लैनिंग अकेले ही छुट्टी मनाने की है तो आप ख़ुशी-ख़ुशी एकाकी होने के शौक़ीन हैं!

10).  लोग खाना खाने के लिए दोस्तों-परिजनों का साथ ढूँढ़ते हैं क्योंकि अकेले खाना खाना सबको पसंद नहीं आता| पर अगर आप कहीं भी कभी अकेले ही खाने का लुत्फ़ उठा लेते हैं तो मान लीजिये कि आपने अकेलेपन का मज़ा उठाना शुरू कर दिया है और एकाकी होने पर आपको तृप्ति मिलती है!

अकेलेपन से अगर आपने दोस्ती कर ली, तो समझ लीजिये आपके आधे दुःख गायब हो जाएँगे! अगर आप अपना साथ यूँही ख़ुशी-ख़ुशी निभा पाते हैं तो इस से बढ़कर कोई सुख नहीं है|

 

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