भारत

बिहार की ये 4 चीजें उसे बनाती हैं ब्रांड

बिहार की चीज़ें – अरे हो बिहार के लाल… गैंग्स ऑफ वासेपुर का ये गाना हर किसी का फेवरेट है और अन्य राज्य के लोग बिहार को इसी गाने के नजर से देखते हैं। लेकिन बिहार इतना भी अराजक नहीं है और बिहार में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिसके कारण विदेशों में ये फेमस है।

बिहार की चीज़ें –

हाल ही में लीची को मिला जीआई टैग

हाल ही में बिहार की लीची को जीआई टैग मिला है। बिहार अपनी लीची के लिए पूरे भारत में फेमस है और इस लीची का बाहर के देशों में भी निर्यात किया जाता है। देश में सबसे ज्यादा लीची बिहार में ही उगते हैं औऱ इसका स्वाद अन्य लीचियों से पूरी तरह से अलग होता है इसलिए बिहार की लीची को हाल ही में जीआई टाग मिला है।

बिहार की मशूहर शाही लीची को कानूनी तौर पर विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के उत्पाद का नाम (GI टैग) मिला है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) ने ट्वीट किया, ‘बिहार की शाही लीची को जीआई (विशिष्ट भौगोलिक पहचान) पंजीकरण मिल गया है।’

अनुकूल वातावरण के कारण होती हैं यहां लीची

बिहार में सबसे अधिक लीची यहां के अनुकूल वातावरण के कारण उगती है। बिहार में सबसे अधिक लीची की खेती मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, चंपारण, बेगूसराय और बिहार के आसपास के क्षेत्र में की जाती है। इतनी अधिक मात्रा में शाही लीची की बागवानी सबसे अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराती है। यह लीची अपने आकार प्रकार और गुणों की वजह से प्रसिद्ध है।

काफी इंतजार के बाद मिला लीची को जीआई टैग

बिहार ने अपनी लीची के लिए जीआई टैग के लिए बहुत पहले ही आवेदन किया था। लेकिन इसको हमेशा इंतजार करना पड़ता था। इस बारे में ही नेशनल रिसर्च सेंटर के निदेशक विशाल नाथ कहते हैं कि बिहार की शाही लीची के लिए यह एक अच्छी खबर है। काफी मेहनत के बाद बिहार की शाही लीची को जीआई टैग मिल गया है। अब हमारी शाही लीची विशेष ब्रांड बन गई है।

क्या होता है जीआई टैग

जीआई टैग मतलब होता है भोगौलिक संकेत। यह एक बार किसी प्रोडक्ट को मिलती है तो कोई भी व्यक्ति या कंपनी इस इलाके के बाहर की लीची को कानूनी तौर पर शाही लीची के नाम से नहीं बेच सकता।

बिहार की इन तीन चीजों को भी मिल चुका है जीआई टैग

इससे पहले बिहार की चीज़ें – बिहार के कतरनी चावल, जरदालू आम और मगही पान को भी जीआई टैग मिल चुका है। लीची को जीआई टैग मिल जाने के बाद अब बिहार की ऐसी चार चीजें हो गई हैं जिन्हें जीआई टैग मिल चुका है। इन चार चीजों के कारण ही बिहार ब्रांड बन चुका है।

कतरनी चावल को जीआई टैग

बिहार के भागलपुर जिले में कतरनी चावल की खेती होती है। इसका स्वाद अन्य चावल से अलग होता है और इसे किसी तरह की पॉलिश की जरूरत नहीं होती है। इनसे पुलाव भी बनाया जा सकता है और ये केवल बिहार में ही होते हैँ। इसे इस साल की शुरुआत में ही जीआई टैग मिला था।

जरदालू आम

बिहार के भागलपुर जिले में ही जरदालू आम की खेती होती है। इसे भी साल के शुरुआत में कतरनी चावल के साथ जीआई टैग मिला था। यह 104-106 दिनों में पक जाते हैं और इनका वजन 186-265 ग्राम तक होता है। इसमें शुगर का कुल लेवल 16.33 % होता है। इस आम में कम रेशे होते हैं।

मगही पान

ये है बिहार की चीज़ें – इसी साल मगही पान को बौद्धिक संपदा का भी टैग मिला। मगही पानी की खेती नवादा में होती है। इसके पत्ते गहरे हरे रंग के दिल के आकार के होते हैं। पत्ते की लम्बाई 8-15 सेंटीमीटर होती है और इनका स्वाद सामान्य पत्तों से अलग थोड़ा मीठा सा होता है।

ये चार चीजें मिलकर बिहार को ब्रांड बनाती हैं क्योंकि इतनी बड़ संख्या में एक साथ, एक ही साल में किसी अन्य राज्य की चीजों को जीआई टैग नहीं मिला है।

Tripti Verma

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Tripti Verma

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