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समुद्र और उसका प्यार! पर यह क्या किया मेरे यार?

समुद्र  का किनारा, ठंडी हवाएँ, ऊँची लहरें, बस और क्या चाहिए, है ना?

एक चुंबकीय शक्ति है जो हम सभी को समुद्र किनारे खींच लाती है, शान्ति की तलाश में, सुकून को पाने के लिए|

लेकिन दोस्तों अब वक़्त बदल चुका है| शान्ति और सुकून के अलावा अब वहाँ सब कुछ मिलता है और जो मिलता है उसे जानेंगे तो या शर्मिंदा हो जाएंगे या हँसी आ जायेगी!

तो हो जाइए तैयार जानने के लिए कि ऐसा क्या है समुद्र किनारे जो आपको हैरान कर डालेगा!

) चिपकाचिपकी

आजकल बीच पर और कुछ नज़र आये न आये, आशिक़ों के गुच्छे ज़रूर नज़र आते हैं! बड़े-बड़े पत्थरों की ओट में छुपे बैठे गुटर-गूं करते हुए या दूर रेत में अपने दिल की गर्मी को हवा देते हुए! माना कि शहरों में जगह कम है आजकल प्यार-मोहब्बत के लिए पर उसका ऐसा खुल्ला नाच भी तो ठीक नहीं!

परिवार के साथ बीच पर जाएँ और यह सब देखना पड़े तो आँखें शर्म से झुक जाती हैं पर आशिक़ों को कहाँ ज़माने कि फ़िक्र है, लगे रहते हैं वो लोग!

) शराबनशा

शराब के अड्डे, पब्स, बार वगेरह यूँ तो कम नहीं हैं शहर में लेकिन फिर भी जिसे देखो शराब की बोतलें लिए समुन्दर किनारे कोई कोना-खोपचा ढूंढ़ता नज़र आता है| यार घर पर पी लो, बार में चले जाओ, समुन्दर किनारे कौन सा मज़ा आता है, यह हमारी समझ से बाहर है| और उससे भी ज़्यादा दिक्कत तब होती है जब लोग नशा भी करते हैं!

खुलेआम चरस गांजे का सेवन हो रहा होता है और देख कर भी अनदेखा करने के अलावा कोई चारा नहीं होता!

) सेल्फ़ी

यह नया कीड़ा है सबके अंदर जो समुन्दर किनारे आके बड़ी ज़ोर से डंक मारता है और हर तरफ आपको लोगों का हुजूम सिर्फ़ अपने फ़ोन के कैमरा पर सेल्फ़ी लेते हुए ही नज़र आता है| मजाल है कि कोई किसी से दो बातें कर ले, डूबते सूरज के एहसास को दिल में समेट ले?

नहीं जी, डूबते हुए सूरज के साथ सेल्फ़ी लेंगे फेसबुक या ट्विटर पर डालने के लिए, लेकिन उस लम्हे को जियेंगे नहीं!

) लड़कियों को ताड़ना

थोड़ा बुरा लगेगा सुनने में लेकिन सच तो यही है कि बहुत से छिछोरे लड़के बीच पर सिर्फ़ लड़कियों को टहलते हुए या जॉगिंग करते हुए देखने ही जाते हैं! वहाँ छेड़ा-छड़ी करना, बदतमीज़ी करना या माहौल को गन्दा बनाना ही उनका काम होता है|

भीड़ का हिस्सा बन ऐसी हरकतें कर जाते हैं कि कहने में भी शर्म आती है!

) कचरा पेटी

यह तो हद है हमारी बेशर्मी की कि समुन्दर को कचरा पेटी मान बैठे हैं! घर में पूजा की, हवन किया, तो राख कहाँ डालेंगे? समुन्दर में! बीच पर खड़े होक भुट्टा खाया, अब उसे फेंकेंगे कहाँ? समुन्दर में! ऐसे हज़ारों किस्से हैं जो बताते हैं कि हम समुन्दर को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते और फिर सरकार को और प्रशासन को दोष देते हैं कि वो लोग पर्यावरण साफ़ रखने में कोई कदम नहीं उठाते! अरे यार, अपने घर का गंद समुन्दर में क्यों डालना?

हर आदमी अपनी ज़िम्मेदारी समझ ले तो समुन्दर गन्दा होगा ही नहीं!

साग़र की लहरें मन को तारो-ताज़ा करने के लिए काफ़ी हैं, बिना एक भी रूपया खर्च किये! आईये इस एहसास को सबके लिए सुखद और ख़ुशनुमा बनाएँ!

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