२) शराब–नशा
शराब के अड्डे, पब्स, बार वगेरह यूँ तो कम नहीं हैं शहर में लेकिन फिर भी जिसे देखो शराब की बोतलें लिए समुन्दर किनारे कोई कोना-खोपचा ढूंढ़ता नज़र आता है| यार घर पर पी लो, बार में चले जाओ, समुन्दर किनारे कौन सा मज़ा आता है, यह हमारी समझ से बाहर है| और उससे भी ज़्यादा दिक्कत तब होती है जब लोग नशा भी करते हैं!
खुलेआम चरस गांजे का सेवन हो रहा होता है और देख कर भी अनदेखा करने के अलावा कोई चारा नहीं होता!