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इस्लाम की यह ५ बातें दुनिया भर में लागू होती हैं!

“इस्लाम” शब्द के बहुत से अर्थ हैं|

उन में से एक है “शांति”! “इस्लाम” की जगह अगर हम “सा-ला-मा” का इस्तेमाल करें तो वो एक व्यक्ति-विशेष और एक सर्वनाम का वर्णन करने जैसा होगा (“वो शांत था”)| जबकि यह शब्द “इस्लाम” आत्मसमर्पण और शान्ति के प्रचार को दर्शाता है| इसीलिए इस्लामिक धर्म में विश्वास करने वालों के उद्देश्य और धर्म के विस्तृत और पूर्ण रूप का समावेश है यह शब्द “इस्लाम”!

ग़ौर करने वाली बात है कि इस्लाम न सिर्फ उसके रचियता और उस में विश्वास करने वालों के बीच शांति स्थापित करता है बल्कि सारे विश्व में भी शान्ति का प्रचारक है!

कुरान पाक़ में कहा है:

हो सकता है कि अल्लाह तुम्हारे और तुम्हारे दुश्मनों के बीच प्यार बढ़ाएगा.. जिन लोगों ने तुमसे धर्म के आधार पर लड़ाई नहीं की और तुम्हे तुम्हारे घरों से नहीं निकला, अल्लाह तुम्हे उनकी इज़्ज़त करने से रोकता है और चाहता है कि तुम्हारा व्यवहार उनकी तरफ़ नम्र और समान हो; अल्लाह न्यायसंगत लोगों से सदा ही प्यार करता है|”- कुरान पाक़, ६०:

तो देखा आपने, इस्लाम में दी गयी शिक्षा एकदम साफ़ है| वो सिखाता है कि हमेशा शांत रहिये, अपने दुश्मन के साथ भी शान्ति से पेश आईये और दुश्मनी कि बजाये, प्यार बढ़ाइए! बल्कि अल्लाह का आदेश है कि जो लोग मुसलामानों के साथ शान्ति का बर्ताव करते हैं और उन्हें नुक्सान पहुँचाने की कोशिश नहीं करते, हम उनके साथ अच्छा बर्ताव करें|

अगर आज के हालातों को मद्देनज़र रखते हुए दुनिया भर के मुसलमानों और आतंकवाद पर नज़र डालें तो जानेंगे कि इस्लाम और आतंकवाद का आपस में कोई रिश्ता नहीं है! कुरान पाक़ में साफ़ कहा गया है कि “एक बेक़सूर का क़त्ल, सारी इंसानियत के क़त्ल के समान है.. और एक ज़िन्दगी को बचाने का मतलब सारी इंसानियत को बचाना है” – कुरान पाक़, :३३

तो देखा आपने, दुनिया भर में एक दुर्भाग्यपूर्ण दोगलापन फैला हुआ है|

उपरवाले का बनाया कोई धर्म यह नहीं कहता कि मासूमों की हत्या करो क्योंकि सब उसके सामने एक समान हैं| हर कोई अपने कर्मों के लिए सिर्फ अल्लाह/भगवान को ही उत्तरदायी है, किसी इंसान को नहीं!

इस्लाम में पाक़ कुरान का ओहदा सबसे सर्वोच्च है| इसमें अल्लाह द्वारा पैगम्बर मोहम्मद को कही गयी और उसके साथियों द्वारा दर्ज की गयी हर बात का सच्चा ब्यौरा है| कुरान की शिक्षा को रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में अपनाने के लिए मुसलमान पैगम्बर के सुन्नाह (कथन और चाल चलन) पर विश्वास करते हैं| यह सुन्नाह एक ठोस सबूत है ख़ुदा के परवान का, जिसे मोहम्मद ने अपने काम और अपनी बातों से साबित किया है! इन सभी बातों को हदीस की शक्ल में रिकॉर्ड किया गया है! यह लेख तो मज़ेदार और ज्ञानवर्धक हदीस का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है|

नीचे लिखी गयी बातें पैगम्बर मोहम्मद द्वारा अपने साथियों को कही हर बात का हिंदी अनुवाद है|

इस्लाम की यह ख़ास पाँच शिक्षाप्रद बातें सारे विश्व पर लागू होती हैं और अगर इनका पालन किया जाए तो सच्चे इस्लाम और विश्व-शांति की ओर राह दिखाती हैं|

1)”शक्तिशाली वो नहीं जो अपने विरोधी को धुल चटा दे, बल्कि वो है जो अपने ग़ुस्से पर काबू रख सके!”

2)”उपरवाले के दिल में उसके लिए कोई दया नहीं है जिसके दिल में दूसरों के लिए दया नहीं है|”

3)”अपने हर भाई की मदद करो, चाहे वो अत्याचारी हो या उत्पीड़ित! ऐसे में एक साथी ने पूछा,पैगम्बर, (यह सच है) मैं उसकी मदद करूँगा जो उत्पीड़ित है लेकिन मैं एक अत्याचारी की मदद भला कैसे कर सकता हूँ?’ पैगम्बर मोहम्मद ने जवाब दिया: ‘उसे अन्याय करने से रोको| उसे अत्याचार करने से रोकना उसकी मदद करना होगा|’

4)”हमेशा उनकी तरफ़ देखो जो तुमसे कम भाग्यशाली हैं बजाये अपने से ज़्यादा भाग्यशाली लोगों को देखने के| इस तरह तुम उपरवाले की कृपा की क़दर कर पाओगे|

5)”जो भी इंसान अपनी ज़बान और अपने गुप्तांगों के सही इस्तेमाल का वचन दे सकता है, मैं उसे जन्नत में लाने के ज़िम्मा लेता हूँ|”

यह हैं वो पाँच सबक जो सारी दुनिया के काम आ सकते हैं न कि सिर्फ मुसलामानों के| अगर इन्हें सच्चे मन से समझा जाए और इनका पालन किया जाए तो निश्चित तौर पर दुनिया एक शांतिपूर्ण जगह बन जायेगी|

फिर इस सवाल का कोई मायने नहीं रहेगा कि, “क्यों हर आतंकवादी मुसलमान है?”

कुरान में यह भी कहा गया है कि, “कोई भी मुसलमान कभी भी ना तो ताना मारता है, ना अपशब्द बोलता है, ना गाली देता है और ना ही अश्लील बातें करता है|”

पर कितने मुसलमान कुरान में कही बातों का सच में पालन करते हैं?

क्या वो कुरान पढ़ते और समझते हैं?

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