5)”जो भी इंसान अपनी ज़बान और अपने गुप्तांगों के सही इस्तेमाल का वचन दे सकता है, मैं उसे जन्नत में लाने के ज़िम्मा लेता हूँ|”
यह हैं वो पाँच सबक जो सारी दुनिया के काम आ सकते हैं न कि सिर्फ मुसलामानों के| अगर इन्हें सच्चे मन से समझा जाए और इनका पालन किया जाए तो निश्चित तौर पर दुनिया एक शांतिपूर्ण जगह बन जायेगी|
फिर इस सवाल का कोई मायने नहीं रहेगा कि, “क्यों हर आतंकवादी मुसलमान है?”
कुरान में यह भी कहा गया है कि, “कोई भी मुसलमान कभी भी ना तो ताना मारता है, ना अपशब्द बोलता है, ना गाली देता है और ना ही अश्लील बातें करता है|”
पर कितने मुसलमान कुरान में कही बातों का सच में पालन करते हैं?
क्या वो कुरान पढ़ते और समझते हैं?