उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला दूर के चांद को ढूंढ़ो न किसी आँचल में ये उजाला नहीं आंगन में समाने वाला इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सबकी दुनिया कोई जल्दी में कोई देर में जाने वाला 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 Facebook Twitter Google+ Linkedin Pinterest Article Tags: Featured · Jagjit Singh · nida fazli · Nida Fazli Poetry · Urdu Shayri · उर्दू शायरी · जगजीत सिंह · निदा फ़ाजली · निदा फ़ाज़ली शायरी Article Categories: विशेष