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निदा फ़ाजली जैसे शायर मरा नहीं करते – उनके ये लफ्ज़ सीधे रूह को छु जाते है.

nida fazli

Nida-Fazli-Shayri

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है

अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

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