हजरत निज़ामुद्दीन औलिया जी की दरगाह
दक्षिणी दिल्ली में स्थित हजरत निज़ामुद्दीन औलिया जी का मकबरा, सूफी काल की एक पवित्र दरगाह है. हजरत निज़ामुद्दीन चिश्ती घराने के चौथे संत थे. एक वाक्या है कि 1303 में इनके कहने पर ही मुगल सेना ने हमला रोका था. हजरत जी ने जब अपने प्राण त्यागे, तभी इनकी दरगाह का निर्माण शुरू किया गया था, जो 1562 तक चला. आप यदि यहाँ जाते हैं तो भारत के विभिन्न रूपों का दर्शन आप कर सकते हैं. इस दरगाह के प्रति आदर मुस्लिमों से ज्यादा, हिन्दू लोगों में है.
हमारे धर्मों में कहा गया है कि हमें कभी भी संतों की शरण और सत्संग में जाने से घबराना नहीं चाहिए. संत किसी की धर्म और जात का हो सकता है. संत का धर्म और जात नहीं देखी जाती.
हमारे भारत में आज भी प्रमुख दरगाहें ऐसी ही जगह बनी हुई हैं, जहाँ हार धर्म के लोग बिना किसी झिझक के माथा टेकते हैं और जो भी यहाँ आता है, उसे बिना किसी भेदभाव के लाभ भी मिलता है.