भूत प्रेत चुड़ैल राक्षस को आप मानते है ?
क्या किसी के कहने भर से नमक को चीनी मान लेते है?
कोई अगर कहे की ये भारत नहीं जापान है तो आप मान लेते है?
नहीं ना… बिना देखे बिना जाने आप हर किसी की बात पर कोई भरोसा नहीं करते अगर. असल ज़िन्दगी में आप इतने समझदार है तो फिर आभासी दुनिया में आपको क्या हो जाता है?
आभासी दुनिया मतलब फेसबुक, ट्विटर या इसी तरह की अन्य वेबसाइट्स.
हमारे यहाँ एक समस्या है. इन्टरनेट के बारे में अभी तक हमारा ज्ञान इतना नहीं है कि सही गलत की पहचान कर ले. अधिकतर लोग सोचते है कि इन्टरनेट पर जो भी कहा जा रहा है वो सही है, और इस बात का फायदा उठाते है वो लोग जिन्हें पता है कि इन्टरनेट के जरिये कैसे झूठ फैलाया जाता है.
इस तरह की घटना का सबसे ताज़ा उदहारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम है.
जैसा कि हम सब जानते है कि नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की इस यात्रा में भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कैंपेन को बढ़ावा देने और अमेरिका में स्थित माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और गूगल जैसी डिजिटल तकनीक के क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों से सहयोग लेने गए है.
इसी उपक्रम में गूगल ने 500 रेलवे स्टेशन और बहुत से गाँवों में सस्ता इन्टरनेट देने की घोषणा की है.
फेसबुक के CEO मार्क जकरबर्ग ने डिजिटल इंडिया के समर्थन करते हुए फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल फोटो मे तिरंगा लगाया, प्रधान मंत्री मोदी ने भी ऐसा ही किया.
उसके बाद फेसबुक पर लोगों में अपनी फोटो बदलने की होड़ लग गई. पूरा फेसबुक तिरंगे में रंग नज़र आने लगा.
लेकिन शाम होते होते किसी ने एक “प्रोग्रामिंग कोडिंग ” का फोटो पोस्ट किया जिसके अनुसार तिरंगे वाली फोटो लगाने का मतलब डिजिटल इंडिया का समर्थन नहीं अपितु फेसबुक के कार्यक्रम Internet.org के समर्थन के लिए है और तस्वीर बदलने पर जाने अनजाने आप मार्क की मदद कर रहे है.
रातों रात ये कोडिंग और इसके बारे में लिखी खबर वायरल हो गयी. कल तक जो लोग डिजिटल इंडिया का समर्थन कर रहे थे इस कोडिंग और इन्टरनेट पर उपलब्ध अज्ञात सूत्रों के हवाले से लिखे गए आर्टिकल को सच मां कर विरोध करने लगे.
देखा आपने कितना आसान है लोगों को बेवकूफ बनाना.
किसी ने भी एक बार सवाल नहीं पुछा की इस खबर का सूत्र क्या है? इस कोडिंग की प्रमाणिकता क्या है? सबसे कमाल की बात कोडिंग का ‘क’ भी ना जानने वाले इसकी व्याख्या कर रहे थे.
गलत का विरोध करना सही है. लेकिंग बिना जाने किसी बात का विरोध करना सिर्फ इसलिए कि आपको किसी व्यक्ति विशेष से नफरत है. और आप आज तक पचा नहीं पा रहे कि उस व्यक्ति को कैसे पूर्ण बहुमत मिला और वो प्रधानमंत्री बन गया.
जब व्यक्ति विशेष के प्रति नफरत इतनी बढ़ जाए कि गलत को सही दिखने में भी गुरेज़ ना हो और नफरत के सामने देश भी छोटा पड़ जाए तो समझ लीजिये कि माहौल को ख़राब करने वाले कौन लोग है?
डिजिटल इंडिया और तिरंगे वाली फोटो की सच्चाई और उस कोडिंग का झूठ कल रात ही Huffington Post पर प्रकाशित हुआ. इसमें फेसबुक के हवाले से लिखा था कि तिरंगे वाली फोटो का मकसद सिर्फ डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का समर्थन करना है. इस फोटो से Internet.org के लिए आपकी हामी नहीं मानी जायेगी.
इस घटना से एक बात तो तय है कि धीरे धीरे हम मुढ़कता की तरफ बढ़ रहे है. इस मुर्खता का फायदा लोग नफरत फ़ैलाने और अपना उल्लू सीधा करने में उठा रहे है. सनसनी के नाम पर झूठी ख़बरें फैलाई जाती है उसके बाद मासूम मुर्ख जो किसी तथाकथित बुद्धिजीवी के भजन गाते है और उनकी हर बात पर आँख मूँद कर भरोसा करते है वो ऐसे सनसनीखेज झूठी ख़बरों को सच मान कर सब जगह फैला देते है.
अंत में जब पता चलता है कि उन्होंने जिस बात का समर्थन किया वो तो झूठ थी. इस पर भी बेशर्मी की हद ये होती है कि वो अपनी गलती और झूठ फ़ैलाने पर माफ़ी तक नहीं माँगते.
तिरंगे वाली फोटो से डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को कितनी सहायता और समर्थन मिलेगा ये तो पता नहीं पर इतना तो तय है कि सिर्फ फोटो बदलने से Internet.org के लिए आपका वोट फेसबुक को नहीं जाएगा.
हम सब मनुष्य है कहने को तो सबसे तेज़ दिमाग वाले जीव पर आँख मूंदकर इन्टरनेट पर भरोसा करने की आदत से लगता है कि हम धीरे धीरे अक्लमंद नहीं अकलबंद होते जा रहे है. अगली बार कोई भी ऐसी खबर हो तो एक बार उसकी खुद से जांच भी करले. अंधे होकर किसी के पीछे चलने पर क्या पता वो आपक गड्ढे में धकेल दे.
फेसबुक के अधिकारिक प्रवक्ता द्वारा Huffington Post को दी गयी जानकारी यहाँ पढ़े
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