दुनिया में सेंसेशन और सेक्सुअलिटी की एक अलग ही परिभाषा गढ़ने वाली बिकिनी की कहानी बड़ी ही रोचक है।
अक्सर आपने कई मॉडल एक्ट्रेस को बिकिनी में सनसनी मचाते देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते है कि दुनिया में बिकिनी का इजाद कैसे किया गया। दरअसल बिकिनी बनाने वाला कोई ड्रेस डिज़ाइनर नहीं था बल्कि ये काम एक मैकेनिकल इंजीनियर ने किया था। ये है बिकिनी की कहानी !
इनका नाम लुईस लेअर्द था जो मूल रूप से फ़्रांस के थे।
बिकिनी का नाम बिकिनी कैसे रखा गया इसके पीछे भी एक कहानी है।
दरअसल जिस जगह पर बिकिनी को सबसे पहले बनाया गया था उस जगह का नाम बिकिनी अटोल था। जो कि उस समय अमेरिका की परमाणु परीक्षण साईट हुआ करती थी। इस जगह से अमेरिका ने अपने पिस-टाइम न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण किया था।
बिकिनी बनाने का आईडिया कैसे आया?
दरअसल जब बिकिनी बनाई गई तब दूसरे विश्व युद्ध का दौर चल रहा था। उस समय यूरोप में हर चीज़ की कमी पड़ गई थी। क्योंकि सारा पैसा तो युद्ध के खर्चे उठाने में लग गया था, ऐसे में कपड़ा भी कम पड़ गया। तो अमेरिका के तरफ से आये एक निर्देश मुताबिक औरतों के स्विमशूट के कपड़ों में कटौती करने को कहा गया। तो इन इंजीनियर साहब का दिमाग दौड़ गया और उन्होंने कम कपड़ो में इतनी फेशनेबल चीज़ बने की दुनिया में तहलका मच गया।
बिकिनी बन जाने के बाद किसी भी मॉडल ने इसका ऐड नहीं किया क्योंकि ये उस समय बड़ी ही अजीब चीज़ थी।
बाद में एक 19 साल की डांसर मिशेलाइन इसका ऐड करने के लिए तैयार हुई। मिशेलाइन के इस बिकिनी ऐड के बाद उन्हें फैन्स ने 50 हजार ख़त भेजे। उस समय फ़्रांस में बिकिनी खूब हिट हुई और बिकिनी ने फेशन इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया।
धीरे-धीरे बिकिनी को पूरी दुनिया में पसंद किया जाने लगा। बिकिनी को सबसे ज्यादा फिल्मों ने प्रमोट किया। आज 70 साल हो चुके बिकिनी को लम्बे समय से फेशन का एटम बम माना जाता रहा है।
और आज आलम ये है कि बिकिनी औरतों की हॉटनेस के पैमाने तय करती है।
ये है बिकिनी की कहानी !