ब्रह्मांड अनगिनत रहस्यों का पिटारा है |
परत दर परत कितने ही अद्भुत रहस्य छुपे हैं इस की कोख में|
हाल ही में हुए एक चौंका देने वाले खुलासे ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है |
रूस के लोकप्रिय शहर लाबिंस्क में, कुछ शोधकर्ताओं को एक ऐसे एक पत्थर की प्राप्ति हुई है जो अब तक लिखे जा चुके मानव इतिहास को संपूर्ण तरीके से बदल सकता है | यह पत्थर जिस वस्तु के साथ पाया गया है, उस की बनावट से वह एक प्राचीन माइक्रोचिप प्रतीत होता है जो इस पत्थर पर खुदा हुआ मिला है | शोधकर्ताओं के अनुसार यह माइक्रोचिप हज़ारों लाखों वर्ष पुराना भी हो सकता है | काई प्रकार के परीक्षणों के बाद वे इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि यह माइक्रोचिप पुरातन संस्कृति में किसी वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था |
सब से जटिल समस्या इस अजीब सी दिखने वाली वस्तु की आयु को बताया जा रहा है, क्योंकि चट्टानों या पत्थरों की सही आयु का अंदाज़ा लगा पाना लगभग असंभव है | फिर भी, जितना परीक्षण उस चिप के आसपास के पत्थर पर पाए गये निशानों और जैविक पदार्थों के आधार पर किया गया है, उस के अनुसार यह चिप २०० से २५० हज़ार साल पुराना भी हो सकता है |
अब सब से दिलचस्प सवाल यह है की किस ने और क्यों उस चिप का इस्तेमाल २५० हज़ार साल पहले किया होगा?
क्या वास्तव में यह एक पुरातन संस्कृति की वैज्ञानिक गतिविधियों का एक नमूना है या कुछ और?
क्या यह कोई प्रोद्योगिकी उपकरण है जो हज़ारों लाखों वर्ष पहले की अत्यधिक उन्नत सभ्यता का प्रतीक है?
क्या ये भी हो सकता है की यह वस्तु पृथ्वी की हो ही नही और किसी और ग्रह या किसी और प्रजाति से आई हो?
क्या मानव जाती का इतिहास कुछ और होना चाहिए था जो की अभी तक आवरणों में ढाका हुआ है?
वास्तविकता कुछ भी हो, किंतु रूस को इस बात पूरा पूरा श्रेय जाता है की पिछले काई सालों में रूस ने शोध के क्षेत्र में कई नये आयाम तय किए हैं |
यह पुरातन माइक्रोचिप लाबिंस्क के क्रॅस्नायर क्षेत्र में पाया गया है | वैज्ञानिकों ने इस खोज को “विज्ञान का अज्ञात प्रोद्योगिक हिस्सा” नाम दिया है| कई और खोजों की तरह, इस अद्भुत खोज का श्रेय भी इत्तेफ़ाक़ से ही हुआ जब एक विक्टोर मॉरोज़ॉव नाम के मछुआरे को इस पत्थर की प्राप्ति हुई, और उस ने अपनी इस अजीबोगरीब खोज को दक्षिणी पॉलिटेक्निक विश्वविद्यालय नोवकज़ेर्कास्कीएज के उत्सुक खोज्दानों को भेंट कर दिया |
यह उपकरण निश्चित रूप से आज के माइक्रोचिप का प्रतिरूप दिखाई देता है | शोधकर्ताओं ने इस माइक्रोचिप रूपी उपकरण को पत्थर से अलग करने का प्रयास नहीं किया है यह सोच कर कि कहीं उसे कोई क्षति ना पहुँच जाए |
आप को क्या लगता है कि यह अद्भुत उपकरण क्या हो सकता है?
क्या यह किसी और ग्रह के पृथ्वी पर हस्तक्षेप का प्रमाण है?
या फिर हमारी ही प्राचीन सभ्यता के अत्यधिक उन्नत होने का एक अविश्वसनिय नमूना जिस से मानवजाति का इतिहास दोबारा लिखा जा सकता है?
अपने विचार हमारे साथ अवश्य सांझे कीजिएगा |
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