रुपये में गिरावट – पूर्ण बहुत से बनी मोदी सरकार की अग्नी परिक्षा चल रही है और इसका असर रुपए पर भी जबर्दस्त हुआ.
लगता है बाकी रिकॉर्ड की तरह रुपया भी गर्त में जाने का नया रिकॉर्ड बना रहा मोदी जी की सरकार में. शुक्रवार को ये अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. कारोबार के दौरान रुपया 69.12 प्रति डॉलर के भाव पर खुला. जो इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट बताई जा रही है.
जानकारो का मानना है कि इसकी वजह यूएस में इकोनॉमिक डाटा का बेहतर होना है जिसकी वजह से डॉलर का मूल्य बढ़ा है, साथ ही मोदी सरकार के खिलाफ सदन में लाए अविश्वास प्रस्ताकी वजह से भी रुपए में गिरावट आई है. विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया 69.30 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर तक जा सकता है.
रुपये में गिरावट का असर आम आदमी पर पड़ सकता है.
मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव की वजह से करेंसी मार्केट पर असर हुआ है. एक्सपर्ट्स की मानें तो घरेलू करंसी को मज़बूदी देने के लिए आरबीआई की ओर से भी कोई दखल नहीं दी गई, जिसकी वजह से रुपए की हालत नहीं सुधरी.
रुपये में गिरावट का आम आदमी पर ये असर हो सकता है.
– भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करता है.
– रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात महंगा हो जाएगा.
– तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं.
– डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई में तेजी आ सकती है.
– इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है.
– रुपये के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
इस साल की शुरुआत से ही रुपया लगातार कमजोर हो रहा है.
रुपये में गिरावट – इस साल में अभी तक रुपया लगभग 7 फीसदी से ज्यादा नीचे गिरा है. इससे पहले रुपया 28 अगस्त, 2013 को 68.80 तक गिरा था. इन दिनों रुपए की गिरती हालत से आम आदमी को ज़्यादा टेंशन होगी, क्योंकि इसकी वजह से महंगाई एक बार फिर बढ़ सकती है और उसका महीने का बजट बिगड़ सकता है.