साहिर लुधयानवी–
ये एक ऐसे शायर थे जो खुद के बजाएं दूसरों पर ध्यान देते थे.
वे एक नास्तिक थे. उनको जीवन में दो बार प्रेम में असफलता मिली. पहला कॉलेज के दिनों में अमृता प्रीतम के साथ जब अमृता के घरवालों ने उनकी शादी न करने का फैसला ये सोचकर लिया कि साहिर एक तो दूसरे धर्म से ताल्लुक रखते हैं और वो ग़रीब थे और दूसरी सुधा मल्होत्रा से के प्रेम में. सारी उम्र अविवाहित रहे और उनसठ वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.
उनके जीवन की कटुता उनके लिखे शेरों में झलकती है.अपनी बेबसी को उन्होंने अपनी इस रचना में कुछ इस तरह बयां किया हैं.
ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत ही नहीं कुछ और भी है
भूख और प्यास की मारी इस दुनिया में
इश्क़ ही एक हक़ीकत नहीं कुछ और भी है.
साहिर के कुछ मशहूर गीत-
- ये दुनिया अगर मिल भी जाएं तो क्या है – प्यासा
- अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम – हम दोनों
- चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें हम दोनों – गुमराह
- मैं पल दो पल का शायर हूं-कभी-कभी
तो देखा आपने कोई मुफ़लिसी से था परेशान, तो कोई प्यार में खाया था चोट, तो कोई गरीबी से था परेशान.
कभी प्यार तो कभी इसमें मिली जुदाई ने रुमानी शायरों को लिखने के लिए प्रेरित किया.
इनकी रचनाएं नई सदी के शायरों के लिए भी मिसाल हैं.