उर्दू के मशहूर शायर गालिब जिन्हें अमर कहा जा सकता है.
क्योंकि जिस्मानी तौर पर आज ये इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अल्फ़ाज़ो को कौन मार सकता है भला! ये तो कभी कविता तो कभी शायरी के रुप में हमेशा के लिए जिंदा रहते है.
सदियां बीत जाती है पर पीढ़ी दर पीढ़ी ये परंपरा की तरह आगे बढ़ती रहती हैं.
आईए देखते है कि गालिब के साथ कई और लेखक हैं जिन्हे कई वजहों ने लिखने के लिए मजबूर किया.
गालिब–
गालिब उर्दू और फ़ारसी भाषा के महान शायर थे. कहा जाता हैं कि गालिब की शायरियां उनके मरने के काफी सालों बाद मशहूर हुई. गालिब की परवरिश काफी गरीब परिवार में हुई. बचपन में ही उनके माता-पिता की मौत हो गई थी. इस दुख की झलक उनकी रचनाओं में भी देखने को मिलती हैं. गालिब की भाषा पर अच्छी खासी पकड़ थी. जिस जगह पर गालिब रहता थे,वो उस जमाने में फ़ारसी भाषा का शिक्षण केंद्र थी.
हैं और भी दुनिया में सुख़न्वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए बयां और गालिब
मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है
कागज़ की कश्ती है बारिश का ज़माना है |