हिन्दुस्तान – आजकल हम अपने आसपास देखते है एक अजीब सा माहौल बनता जा रहा है।
जरा सी बात पर लोग एक दूसरे की जान लेने पर आमादा है,समझ नही आता यह मेरे भारत को हुआ क्या है, एक समय था भारत देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। बाहर विदेशो मे हमारे देश की मिसाल दी जाती थी।
परन्तु आज लोगो के चेहरो पर अजीब सा तनाव है हर किसी के बीच मे कुत्ते बिल्ली का खेल चल रहा है ऐसा क्या हो गया जो लोग ऐसे हो गए।
आज हिन्दुस्तान को आजाद हुए लगभग सत्तर वर्ष हो चुके है ओर तीस वर्ष बाद हम आजादी की शताब्दी बनाएंगे।
परन्तु इन 70 वर्षो की सच्चाई क्या है वह मुझसे बेहतर आप जानते है, हम आजाद हुए परन्तु केवल इतिहास के पन्नो पर आज भी देश मे कई ऐसे गंभीर मुद्दे है जिनको लेकर राजनीतिक रोटिया तो सेकी परन्तु उन्हे जड़ से खत्म करने का प्रयास नही किया गया।
फिर वह चाहे सरकार किसी की भी हो कांग्रेस या भाजपा क्योंकि यही दो राजनीतिक दल ऐसे है जो आजादी से लेकर आज तक सत्ता के लोभ के लिए एक दूसरे को पछाड़ने मे लगे हुए है, और इन सबके बीच वह यह भी भूल गए कि कुछ गंभीर मुद्दे देश को अन्दर ही अन्दर खोखला कर रहे है।
कोई बड़ा नेता जरा सा कुछ बोल देता है तो देश मे बवाल शुरू हो जाता है सड़को पर गाड़िया तोड़ी जाती है दुकाने जलायी जाती है, करोड़ो की पब्लिक प्रापर्टी जलकर राख हो जाती है।
ऐसी जगह पर मीडिया को भी अपनी भूमिका तय करनी होगी। ताजा उदाहरण: हरियाणा आरक्षण कांड, और बाबा राम रहीम की गिरफ्तारी।इन दोनो ही मामलो में मीडिया ने अपनी भूमिका के मुताबिक कार्य नही किया।
नतीजा पब्लिक त्रस्त, देशद्रोही मस्त। यहा पर गौर करने वाली बात यह है कि मीडिया के साथ हमारे देश के नेताओ को भी समझना होगा कि जो आग आज सड़को पर है वह उनके घर तक भी पहुंच सकती है तो अपने शब्दो पर संयम रखना होगा।
जितनी लड़ाई इन नेताओ पर होती है कभी इतनी लड़ाई किसी लड़की को दहेज उत्पीड़न से बचाने के लिए नही है।
हम कहते है बेटी बचाओ बेटी पढाओ परन्तु आज भी देश मे लड़किया ससुराल मे जला दी जाती है भ्रूण हत्या होती है क्या हम जड़ से खत्म कर पाए? नही। आज भी कितना भोजन सड़क पर फेंक दिया जाता है ओर आंकड़े बताते है देश मे सबसे ज्यादा मौते भूखमरी के कारण होती है।
हिन्दुस्तान मे गरीब और गरीब होता जा रहा है ओर अमीर और अमीर, देश मे कुछ अच्छे फैसले भी लिए गए परन्तु लागू होने मे समय लगता है।
जम्मू-कश्मीर में आये दिन पाकिस्तान अपनी कायरता का सबूत देता है।
रोज़ हमारे कई जवान शहीद होते है।और उन शहीद होने वालो में ऐसे भी थे जिनकी अभी नयी शादी हुई थी और उनकी पत्नियों के हाथ की मेहंदी का रंग भी नही उतरा था और उन्हें अपने हाथों की चूड़ियां और मांग का सिंदूर मिटाना पड़ा। वही पत्थरबाजो का कश्मीर में नंगा नाच देखने को मिलता है और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारुक अब्दुल्ला कहते हैं, कश्मीरी पत्थरबाज़ देश के लिए लड़ रहे हैं.
ये है हिन्दुस्तान – सवाल है किस देश के लिए?? इसके लिए सरकार कब कड़े कदम उठाएगी किसका इंतजार हो रहा है 2019 या 2024 का।