यदि किसी का बच्चा घर से बाहर निकलता है तो मां-बाप को उसकी फिक्र नहीं होती, क्योंकि चाहें लोग कितना ही पुलिस विभाग को भला बुरा कहें लेकिन सबको भरोसा है कि उनके बच्चे को कुछ नहीं होगा और वह सकुशल घर लौटेगा।
आखिर यह भरोसा लोगों में किसकी वजह से है?
लोग इतनी बुराइयों के बावजूद पुलिस के भरोसे अपनी जिंदगी कैसे जी रहे हैं?
यह भरोसा उन्हें किसने दिलाया?
वे कौन लोग हैं जो इस भ्रष्ट होती जा रही व्यवस्था की नींव में आज भी स्तंभ की तरह खड़े हुए हैं?
दिन-रात जो अपनी जान की परवाह किए बिना, अपने परिवार की परवाह किए बिना, सिर्फ आपके लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हैं। क्यों हमारा ध्यान उन असली हीरों की ओर कभी नहीं जाता?
आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ जांबाज़ असली हीरों की जो अपनी कार्यशैली के बल पर न केवल बुरे लोगों बल्कि बुरा करने के बारे में सोचने वालों तक के लिए खौफ का पर्याय बन चुके हैं।
ये असली हीरों जिस भी क्षेत्र में तैनात हों दहशतगर्द भी इनके नाम से दहशत में रहते हैं।
1 – नवनीत सिकेरा
जब पिता के साथ पुलिस ने बदसलूकी की तो खुद ही वर्दी पहन ली। अब तक 60 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं। लखनऊ में आतंक दूसरे नाम से जाने जाने वाले गैंगस्टर रमेश कालिया का इन्होंने सफाया कर दिया।
2 – दलजीत चौधरी
पांच बार गैलेंट्री अवार्ड से सम्मानित। दस्यु आतंक इन्होंने खत्म किया। दलजीत चौधरी ने अबतक 60 से ज्यादा एनकाउंटर किये हैं।
3 – अमिताभ यश
”लातों के भूत बातों से नहीं मानते’ यह कहावत आपने बहुत बार सुनी होगी पर जो इस कहावत को पूरा करते हैं ऐसे ही 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी और एनकाउंटर स्पेस्लिस्ट को अमिताभ यश के नाम से जाना जाता हैं। जिस जिले में जाते वहां के अपराधी या तो बेल तुड़वाकर जेल चले जाते हैं।
4 – अनंत देव
डाकूं सिर्फ फिल्मों में ही नहीं होता। हकीकत में होता है और जब डाकूंओं की बात आती है हमरी जुबां से एकाएक ही निकल जाता है- ‘चंबल के डांकू’। इन्हीं डाकूंओं पर फिल्म भी बन चुकी है पर इन फिल्मों में जिस हीरो को इसका खात्मा करते दिखाया जाता है हकीकत में वो नहीं। इस डाकूंओं के खात्में के रियल हीरो आईपीएस अंनत देव है।
5 – अखिल कुमार
अखिल कुमार उत्तर प्रदेश में 1994 बैच के आईपीएस अफसर हैं। अपनी निर्भीक और ईमानदार छवि वाले आईपीएस अखिल कुमार को यूपी में अपराध कम करने का श्रेय दिया जाती है। वे जहां भी तैनात रहते वहां का क्राइम ग्राफ घटा देते। उन्होंने कुख्यात डकैत निर्भय गुर्जर का एनकाउंटर किया।
6 – राजेश पांडेय
3 बार गैलेंटरी अवार्ड पाने वाले राजेश पांडेय ने बनारस ब्लास्ट में लश्कर-ए-तइबा के आतंकी सलार जंग को मार गिराया। इलाहबाद के रहने वाले राजेश कुमार पाण्डेय ने 1989 में प्रांतीय पुलिस सेवा से अपने करियर की शुरुआत की। 1994 बैच के अधिकारी राजेश पांडेय ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह की सुपारी लेने वाले श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर किया था।
7 – सुवेंद्र कुमार भगत
कई मामलों में अपराधियों का खात्मा कर चुके सुवेंद्र कुमार भगत अब तक 50 से भी ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं. राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित आईपीएस अधिकारी सुवेंद्र कुमार भगत को डिपार्टमेंट क्राइम कंट्रोलर मानती है। साल 1998 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी सुवेंद्र फिलहाल वाराणसी में आईजी के पद पर तैनात हैं।
ये है असली हीरों – जिस तरह से कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाये जाते रहे हैं उससे निपटना कोई आसान काम नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी इससे निपटना पड़ता है।
कानून व्यवस्था बनाए रखना पड़ता है। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है इससे प्रदेश की पूरी पुलिस फोर्स को एक साथ मिलकर काम करना पड़ता है लेकिन उनको एक सेनापति की जरुरत होती है जो उनको गाइड कर सकें, नेतृत्व कर सके, यह कठिन काम है परंतु इस पूरी इमानदारी और जिम्मेदारी से निभाना पड़ता है।
इसी जिम्मेदारी को निभाते हैं ये जाबांज असली हीरों। इन्हीं वीरों की वजह से जनता घर में सूकून की निंद सो पाते हैं।
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