आतंकवाद का न कोई धर्म होता है और न ही जात.
वह तो केवल पूरे विश्व में अपनी पैठ जमाना चाहता है जिसके लिए वह निर्दोष मासूमों पर कहर बरपाता है.
आइए हम बात करते है हर देश में मंडरा रहा है आतंकवाद का खतरा – कैसे निपटा जाए?
1. बयानबाजी के बजाय इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई एक रूपरेखा निर्धारित की जानी चाहिए. इस पर गंभीरता से चिंतन करते हुए इन घटनाओं के पीछे छिपे कारणों को खोजें और उनका समाधान निकालें.