सेक्स वर्कर्स की ज़िंदगी – दोस्तो अगर सोचा जाए तो सेक्स वर्कर्स की ज़िंदगी खुद ही इतनी मुश्किल होती है तो जरा सोचिए उनके बच्चो और खास कर के बेटियों की जिंदगी कैसी होती होगी.
ये तो हम सभी जानते हैं की हमारे माता-पिता का व्यवसाय हमारे ऊपर भी प्रभाव डालता है, तो ठीक इसी तरह सेक्स वर्कर्स की बेटियों पर भी उनके माता-पिता के काम का असर तो जरूर पडता होगा. उनके बच्चों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
सेक्स वर्कर्स के यहां पैदा होने वाली लड़कियों को अपने जीवन में ज्यादा परेशानियां उठानी पड़ती हैं.
आज हम आपको एक ऐसे ही सेक्स वर्कर्स की ज़िंदगी – सेक्स वर्कर की बेटी की आप बीती कहानी बताएंगे की कैसे जन्म से लेकर अपनी जवानी तक उन्हें किस-किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
मुंबई के स्लम में पैदा अश्विनी ऐसे ही बच्चों में से एक हैं. अश्विनी ने अपनी कहानी शेयर करते हुए बताया कि एक सेक्स वर्कर की बेटी किस तरह के तानें और गंदी नजरों से गुजरना पडता है.
अश्विनी बताती है कि उसकी मां एक सेक्स वर्कर थी और वही उसे टॉर्चर भी करती थी. पांच साल की उम्र में मां की लिपस्टिक खो देने की वजह से उसकी झाडू से पिटाई की गई थी. आठ साल की उम्र में अश्विनी को एक एनजीओ में पढ़ाई के लिए भेजा गया. अश्विनी बताती हैं कि एनजीओ का हाल भी बहुत बुरा था.
यहां छोटी-छोटी बातों पर भी बच्चों को बहुत बुरी तरह पीटा जाता था. उसी समय अश्विनी की मां का देहांत हो गया और उसे 10 साल तक उसी एनजीओ के हॉस्टल में रहना पड़ा. एनजीओ में टॉर्चर की हदें पार होने के बाद अश्विनी ने कुछ बच्चों के साथ मिलकर क्रांति नामक संस्था ज्वाइन की. यहां पर अश्विनी को काफी कुछ सीखने का मौका मिला और वो टीचर की जॉब भी करने लगी. अश्विनी ने कैंसर के मरीज़ों के लिए हॉस्पिटल में वॉलेंटियर का काम भी किया है. वे दिल्ली के दलितों के लिए भी काम कर चुकी हैं. बंगाल में थियेटर कर उन्होंने लोगों में जागरूकता फैलाई.
अश्विनी ने अपनी आगे की पढ़ाई के लिए न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया था जहां उन्हें पूरी ट्यूशन फीस के साथ स्कॉलरशिप मिली.
अश्विनी कहती हैं कि वो अपनी जिदंगी के इस सेकेंड चांस को पाकर काफी खुश हैं लेकिन साथ ही उन्हें अपने जैसे सेक्स वर्कर्स के बच्चों के भविष्य की चिंता भी सताती है, क्योंकि हर किसी की किस्मत अश्विनी जैसी नहीं होती. अन्य लड़कियों को तो कभी उस जंगल से निकलने का मौका ही नहीं मिलता जहावो पैसा हुई होती हैं. यहाँ तक की कई लड़कियों को मजबूरन खुद भी एक सेक्स वर्कर बनना पड जाता है.
सेक्स वर्कर्स की ज़िंदगी ना तो खुद अच्छी होती है और ना ही उनके बच्चों को, ज्यादातर केसीस में यही देखा गया है की उनकी बेटियां या तो खुद इस दलदल में खीची आती हैं या उन्हे जबरन लाया जाता है और इसके अलावा उनके बेटो का भी इसी धंधे में जीवन व्यर्थ होता है. या तो वह यहाँ से बहार निकल कर कोई मुजरिम बन जाते हैं या फिर वैशियाओ की दलाली करते हैं.
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