५. सरोजिनी नायडू
यह भारत की कोयल थी जिसने महिलाओं के आज़ादी के लिए पहला कदम उठाया.
हिंदु मुस्लिम एकजुट का स्वप्न जो आज भी कोई समाज का सुधारक नहीं देखता उस कार्य पर सरोजिनी ने काम किया.
भारत की परिस्थिति बदलने के लिए विकास के काम किये.
बदलते युग के साथ यह क्रांतिकारी महिला केवल पाठशाला की पुस्तको तक ही सीमित रह गयी.
१३ फ़रवरी १८७९ – २ मार्च १९४९ (७० आयु वर्ग)
इन महान महिलाओं ने अपना योगदान एक अच्छे समाज के उद्धार के लिए दिया. विकट परिश्थितियों में अपने हौसले बुलंद करने वाली इन महिलाओं ने मानसिक प्रताड़ना झेली. मगर उनका एक ही लक्ष्य रहा, स्वराज में खुशहाली और महिलाओं की आजादी.
किंतु आज शहर की महिलाए आधुनिक और गांव की पिछड़ी हुई दिखाई देती है.
क्या इन क्रांतिकारी महिलाओं को केवल उनके तिथि पर याद करके भूलना मुनासिफ है?
क्या हमे ऐसी महिला की आज भी आवश्यकता है?
जिसके चलते भारतीय महिला सही मायने में आज़ाद हो जायेगी.
अगर हा है, तो जगाइए खुद में छिपी रानी लक्ष्मी बाई और बेगम हजरत महल को.
और अपने साथ अपने जैसे बहनों का मार्गदर्शन करे, जीवन का उद्धार करे.