४. सावित्रीबाई फुले
सावित्रीबाई भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं.
यह सुनने में बहुत अच्छा और सहज लगता है.
मगर जिस जमाने में महिलाओं का अकेले घर से बहार निकलना मना था. उस परिस्थितियों में पति धर्म निभाती सावित्री बाई बच्चों को पढ़ने घर से बाहर निकलती थी.
समाज के ठेकेदार उस पर गोबर के गोले फेकते गंदी बाते करते.
किंतु सावित्री बाई के इरादे चट्टान की भाति अडिंग रहे।
पढाई हेतु विदेश में रह कर आई सावित्री बाई ने अपने संस्कारों को कभी नहीं छोड़ा.
लेकिन आज समाज के ठेकेदार इनका नाम केवल सत्ता की लालच हेतु ही लेते है.
३ जनवरी १८३१ – १० मार्च १८९७ (६६ आयु वर्ग)