जब-जब हम भारतीय आर्ट फिल्मों की बातें करते हैं तब-तब हम ‘मिर्च-मसाला’ और ‘दो आँखें बारह हाथ’ जैसी फिल्मों के बारे में सोचने लगते हैं.
भारतीय सिनेमा जगत में बहुतेरा, बड़े-बड़े दिग्गजों ने अपनी फिल्मों से दर्शकों को सोचने के लिए मजबूर किया है.
माननीय सत्यजित राय साहब और ऋत्विक घतक जी द्वारा बनाई गई फिल्मों ने भारत को एक नया सिनेमा दिया. और इस नए सिनेमा की वजह से नए दर्शक भी मिले. 80 के दशक में भारतीय सिनेमा जगत को बहुत अच्छी-अच्छी फिल्में नसीब हुईं.
‘कमल स्वरुप’ के दिमाग में, जो रिचर्ड एटनबरो को ‘गाँधी’ फिल्म के दौरान असिस्ट कर रहे थे, एक फिल्म बनाने का ख्याल आया. कुछ समय बाद अपने दम पर और कुछ मदद NFDC से लेकर उन्होंने एक फिल्म बनाई. फिल्म का नाम था ‘ओम दर बदर’. 1989 में फिल्मफेयर द्वारा सम्मानित की गई इस फिल्म को 25 साल बाद 2014 में रिलीज़ किया गया. लेकिन तभी भी यह फिल्म ज्यादा दर्शकों तक नहीं पहुँच पाई.
यह फिल्म एक लड़के, ‘ओम’ पर आधारित है जो लम्बे समय तक पानी में अपनी सांस रोके रह सकता है. ओम एक जवान और लापरवाह लड़का है. उसकी बहन एक बेकार लड़के से प्यार करती है. ओम को विज्ञान और धर्म से सम्बंधित चीज़ों में काफी दिलचस्पी है. ओम के बाबूजी एक गवर्नमेंट सेवक थे लेकिन ज्योतिषी बनने की होड़ में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी.
यह फिल्म एक अवास्तविक (surreal) फिल्म है जो कमल स्वरुप के हिसाब से भगवान ‘भ्रम्हा’ पर आधारित है. कमल स्वरुप यह भी कहते हैं कि इस फिल्म में उनको आए हुए कुछ सपनों के भी दृश्य हैं जो वे शब्दों में बयान नहीं कर पाए.
फिल्म के गाने ‘बबलू बेबीलोन से’ और ‘मेरी जान’ उस दशक के संगीत से काफी हटके थे. अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्म ‘देव डी’ का गाना ‘इमोशनल अत्याचार’, ‘ओम दर बदर’ फिल्म के ‘मेरी जान’ गाने से प्रेरित होकर ठीक उसी तरीके से दर्शाया है.
इस फिल्म में चिली के फिल्म निर्देशक अलेजांद्रो जोदोरोव्स्की की निर्देशन शैली की झलक मिलती है.
‘द सेवेंथ आर्ट’ नामक फिल्म ब्लॉग ने कहा कि “कमल स्वरुप की यह फिल्म भारत में बनाई गई हर फिल्म से एकदम विपरीत है.” ‘ओम दर बदर’ फिल्म बहुत सारे तरीकों में स्पष्ट की गई है. सबसे प्रचलित उद्धरण है ‘द ग्रेट इंडियन LSD ट्रिप’.
यह फिल्म असलियत और काल्पनिकता के बीच कोई भेदभाव नहीं करती. लोगों की हार-जीत और भारतीय सरकार पर व्यंग उछालने पर यह फिल्म बिलकुल नहीं झिझकती है.
इम्तिआज़ अली और अनुराग कश्यप जैसे निर्देशकों ने इस फिल्म को काफी सराहा है. भारत के बाहर भी ‘ओम दर बदर’ को काफी सराहना मिली है.
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