विम्बल्डन का महिला डबल्स ख़िताब जीतकर सानिया मिर्ज़ा ने इतिहास रच दिया है.
सानिया अलग-अलग वर्गों में टेनिस के चारों ग्रैंड स्लैम जीतने वाली अकेली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं.
यही नहीं आज महिला टेनिस डबल्स में सानिया मिर्ज़ा वर्ल्ड नंबर वन की रैंकिंग के साथ दुनिया भर में अव्वल स्थान पर हैं.
सानिया की जीत का जश्न पूरे भारत में जमकर मनाया जा रहा है. सोशल मीडिया सानिया की जीत से पटा पड़ा है. पर अगर भारतीय महिला टेनिस का भविष्य देखें तो क्या सानिया की गद्दी सँभालने के लिए और कोई खिलाड़ी है?
ये हमारी खुशकिस्मती है की भारतीय टेनिस का परचम लहराने के लिए भारत में सानिया मिर्ज़ा जैसी खिलाड़ी मौजूद हैं. लेकिन हमारी बदकिस्मती ये है की फिलहाल सानिया ही इकलौती ऐसी भारतीय महिला खिलाडी हैं जिन्होंने टेनिस का परचम विश्व भर में लहराया हुआ है.
अगर डबल्स विश्व रैंकिंग पर नज़र डालें तो सानिया के बाद दूर-दूर तक किसी भारतीय महिला खिलाड़ी का नामोनिशान नहीं है.
सानिया के बाद डबल्स रैंकिंग में आने वाली अगली भारतीय हैं प्रार्थना थोंबारे, जिनकी रैंकिंग है 299. प्रार्थना थोम्बारे 21 साल की हैं और इनका भविष्य सुनहरा हो सकता है. पर इनके लिए “दिल्ली अभी दूर है”.
इस टेबल के जरिये हम आपको डबल्स रैंकिंग में भारतीय महिला खिलाड़ी की विश्व रैंकिंग में स्थान दिखाते हैं-
खिलाड़ी विश्व रैंकिंग
सानिया मिर्ज़ा 1
प्रार्थना थोंबारे 299
शर्मादा बालू 341
अंकिता रैना 374
निधि चिलमुला 402
ये तो थी डबल्स की बात. सिंगल्स में भी सबसे ऊंचे पायदान पर पहुँचने वाली भारतीय खिलाडी सानिया मिर्ज़ा ही रही है. लेकिन बाद में चोट लगने की वजह से मिर्ज़ा ने सिंगल्स की बजाय डबल्स ज्यादा खेलना शुरू किया.
मौजूदा सिंगल्स रैंकिंग में सबसे ऊँची रैंकिंग वाली भारतीय खिलाड़ी हैं अंकिता रैना जो 228 वीं पायदान पर हैं और उनके बाद हैं नताशा पल्हा जो 546वें नंबर पर हैं.
इस टेबल्स के जरिये हम आपको सिंग्लस रैंकिंग में भारतीय महिला खिलाड़ी की विश्व रैंकिंग में स्थान दिखाते हैं.
खिलाड़ी विश्व रैंकिंग
अंकिता रैना 228
नताशा पाल्हा 546
ऋषिका सुनकारा 556
शर्मादा बालू 602
सौजन्या 609
इन आंकड़ों को देख कर यही लगता है सानिया को छोड़कर भारतीय महिला टेनिस को आगे ले जाने वाली खिलाडियों की संख्या काफी सीमित है. सानिया को टेनिस में अच्छा खेलते हुए देख कर काफी उम्मीद थी कि और भी महिला खिलाड़ी आगे आएँगी.
पर अब तक उम्मीद हकीकत में बदलती नज़र नहीं आई.
टेनिस के साथ समस्या ये भी है की ये महंगा खेल है. सभी के बस की बात नहीं इस खेल को अफोर्ड कर पाना. महंगा होने के कारण टेनिस खिलाडियों को कंपनियों की स्पॉन्सरशिप भी आसानी से नहीं मिलती.
इन खिलाडियों के लिए दूसरे देशों में जाकर खेलने का ख़र्च उठाना मुमकिन नहीं हो पाता.
कोचिंग और ट्रेनिंग की सुविधाएं भी गाँव, कस्बों और छोटे शहरों तक नहीं पहुँच पायी है. हालांकि बड़े शहरों में ट्रेनिंग के लिए सुविधाएँ पहले से बेहतर हुई है.
फ़िलहाल 28 साल की सानिया मिर्ज़ा अभी रिटायरमेंट से दूर हैं और उम्मीद है कि भारत के लिए और ख़िताब जीतेंगी. लेकिन सानिया की जगह भविष्य में कौन ले सकती है, इसकी तलाश अभी से शुरू कर देनी चाहिए. ताकि टेनिस में भारत इसी तरह आगे बढ़ता जा सके.
खैर सानिया ने ख़िताब जीतने के बाद कहा की उनकी इस जीत से बहुत सी लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी और वो भी सोच सकती हैं टेनिस में आगे आयें, और ग्रैंड स्लैम जीते.
उम्मीद है कि सानिया मिर्ज़ा के इस कथन से खिलाडियों को प्रेरणा मिले और वो आगे आयें. और सानिया की उत्तराधिकारी बन सके.