आज तक हम सभी को लगता था कि हमारे भगवान राम के वंशज केवल भारत और नेपाल तक सीमित हैं लेकिन हाल ही में थाईलैंड के राजा कि मृत्यु पर ये बात सामने आई है कि वह भी प्रभु राम के वंशज थे.
थाईलैंड के राजा के अंतिम संस्कार को तो वैसे काफी समय हो चुका है लेकिन हाल ही में यह खुलासा सामने आया है कि वह भारत के महान राजा और भगवान श्री राम के वंशज थे.
तो आईए जानते हैं आखिर कैसे थाईलैंड के राजा का इतिहास भारत से जुडा है.
हमेशा से ही राजाओं का ठाट-बाट सुर्खियों में रहा है और इस बार थाईलैंड के राजा किंगपूमीपोनअदून्यदेत के अंतिम संस्कार की खबरें चर्चा में बनी हुई हैं. इस किंग की मौत अक्टूबर 2016 में हो गई थी लेकिन उनका शाही अंतिम संस्कार अब जाकर बैंकॉक में हुआ है.
मृत्यु के बाद पिछले एक साल से किंग के शाही अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रहीं थीं.थाईलैंड के लोग इन्हें पिता मानते थे और वे बड़े दयालु स्वभाव के थे. इसी वजह से उनकी मृत्यु पर पूरे थाईलैंड में शोक था. कहा जा रहा है कि अंतिम संस्कार के लिए 6 अरब रुपए खर्च किए गए थे. जो कि आज तक किसी भी राजा के अंतिम संस्कार में सबसे अधिक में आता है.
भारत की बात करें तो भगवान राम के वंशज कहे जाने वाले भूमिगोल के देहांत के एक साल बाद उनका राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था.इस शोक के बाद बौद्ध परंपरा के अनुसार भूमिगोल को आखिरी विदाई दी गई थी. उनकी अंतिम सवारी सोने के रथ पर निकली थी और उनके सम्मान में 500 प्रतिमाओं का निर्माण किया गया था. किंग पूमीपोन थाईलैंड के एक प्रिय राजा था जिनका सभी देशवासी बेहद सम्मान करते थे.
पूमीपोन संवैधानिक रूप से बनाए गए राजा थे और उनकी शक्तियां भी सीमित थीं. थाईलैंड में उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया था. उनका जन्म 5 दिसंबर, 1927 को मैसाचुसेट्स में हुआ था और उनके पिता माहिडोल अदुन्यदेत भी एक राजा थे.जब वो 2 साल के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया. इसके बाद उनकी मां उन्हें स्विट्जरलैंड ले गई और वहीं पर पूमीपोन की पढ़ाई पूरी हुई.
उनके जन्म के समय उनके पिता हावर्ड में पढ़ाई कर रहे थे और इसके बाद उनका पूरा परिवार थाईलैंड में आकर बस गया.पूमीपोन से पहले उनके बड़े भाई ने राजगद्दी संभाली थी लेकिन एक दुर्घटना में उनके देहांत के कारण 18 साल की उम्र में पूमीपोन को गद्दी पर बैठना पड़ा था. दुनिया के इस महान राजा को संगीत और फोटोग्राफी का बहुत शौक था.वोसैक्सोफोन बजाते थे और गीत भी लिखा करते थे.
किंग भुमिभोल की मृत्यु के बाद अब उनके सबसे बड़े बेटे महा वजीरालॉकोर्न हैं जिन्होंने उनकी जगह सन 2016 से अब तक बखूबी निभायी है. राजा महा वजीरालॉकोर्न को भी थाईलैंड के लोगों से उतना ही प्यार और सम्मान मिला है जितना कि उनके पिता को मिला था.
हाँ लेकिन शायद आने वाले समय में भी थाईलैंड अपने किसी राजा को पिता का दर्जा नहीं दे पाएंगे.