ENG | HINDI

सिद्धि विनायक का सहारा लिया था आतंकवादियों ने मुंबई हमले से पहले !

Terrorists took help from Siddhi Vinayak Temple

26/11 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों का अभियुक्त डेविड कोलमन हैडली सरकारी गवाह बन गया है.

पूछताछ के दौरान हैडली रोज़ नए खुलासे कर रहा है.

ऐसे ऐसे खुलासे जिनसे ना सिर्फ भारत की वोट बैंक राजनीती की पोल खुल रही है बल्कि कितनी आसानी से आतंकवादी भारत में आकर पूरी तैय्यारी करते है  उसका भी पता चलता है.

कल हैडली ने खुलासा किया कि इशरत जहाँ ,लश्कर की फिदायीन आतंकी थी. जी हाँ ये वही इशरत जहाँ है जिसकी वजह से फर्जी एनकाउंटर का मामला उठा था.

David-Headley

मुसलमान वोटों के लिए नितीश कुमार ने तो इशरत जहाँ को बिहार की बेटी कह दिया था वहीँ अरविन्द केजरीवाल, शरद पंवार और दिग्विजय सिंह ने भी उसे मासूम बताते हुए घड़ियाली आंसू बहाए थे.

अब जबकि हैडली ने ये साफ़ कर दिया है कि इशरत लश्कर से ट्रेनिंग लिई हुई सुसाइड बॉम्बर थी तो इशरत के पैरवी करने वाले सभी नेता और पत्रकार मुहं में गोंद लगाकर बैठ गए है.

आज  भी हैडली से पूछताछ जारी है. आज हैडली ने बताया कि आतंकियों ने कई बार शिव सेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे को मारने की भी साजिश रची थी. लेकिन वो अपनी इस साजिश में सफल नहीं हुए.

हैडली ने आज एक और खुलासा करते हुए बताया कि मुंबई पर 26 नवम्बर को किये गए आतंकी हमले से पहले आतंकवादियों और उनके सरगनाओं ने पूरी तैयारी की थी.

वो जानते थे कि भारत में धर्म के सहारे कुछ भी किया जा सकता है. यदि मुस्लिम के रूप में आतंकी रेकी करेंगे तो शायद किसी की नज़र में आ जाएँ. पकडे जाने और लोगों की नज़र से बचने का एक ही तरीका था. वो ये कि उनके जैसे ही बन जाए.

इसके लिए आतंकियों ने भारतीयों की तरह कपडे चाल ढाल और बात करना तो सीखा, लेकिन फिर भी ये डर था कि नाम पूछने पर शायद फंस जाए.

कोई इन लोगों का नाम भी ना पूछे इसके लिए आतंकवादियों ने एक शातिर तरीका खोज निकाला.

डेविड हैडली के अनुसार ये सब आतंकवादी भारतीय लगे वो भी हिन्दू इसके लिए उसने मुंबई के प्रसिद्द गणेश मंदिर सिद्धि विनायक जाकर 15-20 धागे खरीदे  और उन्हें आतंकवादियों की कलाई और गले में बाँधा गया.

Siddhivinayak-mumbai

सिद्धि विनायक का धागा होने से इन सब आतंवादियों को भीड़ में घुलने मिलने में आसानी हुई और साथ ही साथ ये आतंकी लोगों के सवालों से भी बच  गए.

आखिर हमारे देश में शक भी तो दाढ़ी और टोपी देखकर होता है. गणेश जी का धागा हाथ में बंधा होने पर तो हिन्दू होने का सर्टिफिकेट मिल ही जाता है. बस हमारी इसी छोटी सी धार्मिक बेवकूफी का आतंकियों ने फायदा उठाया.

हमारी वेशभूषा और रूप रंग देखकर लोगों को जज करने की मानसिकता शायद पूर्ण रूप से नहीं लेकिन कुछ हद तक तो जिम्मेदार थी इन आतंकवादियों को मुंबई में खुला घुमने और हर एक चप्पे के बारे में जानने देने की.

हैडली के खुलासे जारी है देखते है आगे आगे और कौनसे राज़ खुलते है.