आंतकवादियों के बच्चे – अक्सर जब भी हम आतंकवाद की खबरें सुनते है तो हमारा खून गुस्से से खोलना लगता है ये सोचकर कि आतंकवादी के रुप में दिखने वाले लोग कितने बेरहम होते है जो किसी की जान लेने से पहले एक बार भी नहीं सोचते । और जान लेते भी है तो एक ऐसे सपने के पीछे जिसे उनके लिए कोई ओर सही नहीं मानता ।
भारत में कश्मीर राज्य आजादी के बाद से ही हिंसा और आतंकवाद से प्रभाविक रहा है यही कारण है कि ये राज्य आज तक सही ढ़ंग से विकास नहीं कर पाया है । यहां रहने वाले लोगं की जिंदगी सिर्फ के डर के साय में ही निकल जाती है ।
हालांकि कश्मीर में आंतकवाद के बढ़ावे के पीछे अलगावादी नेताओं का हाथ माना जाता है जो राज्य के लोगों को ही अपने देश के खिलाफ भड़काते है उन लोगों को इस बात को अपनाने में तकलीफ होती है कि जिस देश से उनकी सुविधाओं के लिए पैसा आता है जिस देश की सेना उनकी रक्षा करती है वो उनका ही है जिस आतंकवादी संगठनों और कई अलगावादी नेताओं के बेहकावे में आकर कई कश्मीरी नौजवान आतंक की रहा पकड़ लेते ।
ये सोचे बिना कि इसके बाद उनका भविष्य क्या होगा उनके बच्चों का क्या होगा क्या वो जो कर रहे है वो सही है आतंकवादी बने ज्यादातर युवा या जो जबरन उठाकर जबरदस्ती आतंकवादी संगठनों में भर्ती किए जाते है या फिर ब्रेन वॉश कर अपने देश के खिलाफ भड़काकर आंतकवादी बनाया जाता है ।
अब इसमें गलत कौन है ये कह पाना तो शायद मुश्किल है क्योंकि नौजवान के आतंकवादी बने की वजह सिर्फ वही जानता है और कानून की नजर में वो एक दोषी ही है लेकिन हमें से किसी ने कभी ये सोचा है कि आँतकवादी बने इन लोगों के परिवार खासतौर पर आंतकवादियों के बच्चे का क्या होता होगा ?
आंतकवादियों के बच्चे किस तरह की जिंदगी व्यतीत करते होंगे
कश्मीर में पैदा हुए और ब्रेन वॉश के कारण अपने ही देश के खिलाफ बंदूक उठाने वाले यहां के नौजवान जो आंतकवादी बन तो जाते है लेकिन अपने पीछे कई मासूम जिंदगियों को छोड़ जाते है जिनकी पूरी जिंदगी इनके कर्मों से प्रभावित रहती है ।
कश्मीर में कई यतीम खाने बने है जो इन आंतकवादियों के बच्चे की देख भाल के लिये बनाए गए है जिनके पिता आंतकवादी थे । यतीमखानों से इन्ही जिंदगी जीने की थोड़ी राह तो मिल जाती है । लेकिन यतीमखानी किताबें और विचार भी उन्हें उनके घावों में भरने में मदद नहीं कर पाते । वहीं कुछ मीडिया रिपोर्टस के अनुसार यहां के अलगाववादी नेता और आतंकी संगठन इन बच्चों को इनके पिता की कुर्बानी का हवाला देकर आतंकवादी बने के लिए प्रेरित करते है । जिस वजह से इनमें से ज्यादातर इस बात पर यकीनन नहीं कर पाते कि उनके अब्बू एक आंतकवादी थी । जिस वजह से कई बच्चें तो साफ साफ ये तक कह देते है कि वो आर्मी या पुलिस में कभी भर्ती नहीं होना चाहते । इसलिए क्यों कि उनके कारण वो अनाथ हुए है लेकिन इसके लिए इन बच्चों को दोषी भी ठहराया जा सकता । क्योंकि हम और आप इस बात को समझते है कि इन बच्चों के पिता ने जो किया वो देश द्रोह था उसे हजारों लोगो की जान गई ।
लेकिन ये आंतकवादियों के बच्चे तो सिर्फ इतना समझते है कि इनसे इनके पिता को छीना गया और उन्हें अनाथ कर दिया गया । हालांकि यतीम खानों में देश के लिए नकारत्मक सोच रखने वाले आतंकवादियों के बच्चों के बीच कई बच्चे ऐसे भी है जो इस बात को समझते है और अपने अब्बू की गलती को दोहराना नहीं चाहते और अपने देश और परिवार के लिए कुछ करने की चाह रखते है ।
कश्मीर में यतीम खानों में रह रहे बच्चों की सोच के लिए कही ना कही यहां की राजनीति भी जिम्मेदार है जो अपने राज्य के लिए एक सोच नहीं रखती है । इस पर आतंकवादियों दारा लोगो को पत्थरबाजी के लिए प्रेरित करना, धर्म की दुहाई देना, अपने देश के खिलाफ भड़काना सभी इन बच्चो के भविष्यों को बर्बाद कर रहे है । जिस पर ध्यान देने की खासा जरुरत है ।
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