7 जनवरी 2015, नये साल का पहला हफ्ता, रोमांस का देश फ्रांस अब भी उत्सव के माहौल में ही था. लेकिन अचानक फ्रांस की एक प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य मैगज़ीन शार्ली हेब्दो के दफ्तर में दो हथियारबंद युवक घुस जाते है और अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 13 पत्रकारों को मौत के घाट उतार देते है.
आमतौर पर आतंकवादी घटनाओं से दूर रहने वाला फ्रांस इस घटना के बाद भौचक्का रह गया था.
10 महीने बाद
नवम्बर 2015,
फ़्रांस की राजधानी पेरिस में फूटबाल का खेल चल रहा था. मुकाबला था दो चिर प्रतिद्वंदियों का. एक तरफ थी फ़्रांस की घरेलु टीम तो दूसरी तरफ विश्वविजेता जर्मनी. दर्शकों के उत्साह की कोई सीमा ही नहीं थी.
फ्रांस में आतंकवादी हमला, पेरिस में इस्लामिक आतंकियों ने बरसाई गोलियां. इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने फिदायीन हमला किया.
पेरिस के अंदर और आसपास की 6 जगह निशाना बनी और करीब 150 से ज्यादा लोग मारे गए.
*सोर्स CNN*
आठ आंतकी भी मारे गए जिनमें से 7 मानवबम थे. ये अपने हाथों में AK-47 राइफल और सीने और कमर पर बम बांधकर आये थे.
फुटबॉल मैच होने की वजह से पेरिस में बहुत भीड़ थी. इसी बात का फायद आतंकियों ने उठाया.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आतंकियों ने खून की होली खेली, वो लगातार 20 मिनिट तक अंधाधुंध गोलियां चलाते रहे. जो भी गोली के निशाने पर आया मार दिया गया.
आतंकी किसी भाषा में कुछ चिल्ला रहे थे उनमे से ईराक,सीरिया और अल्लाह अकबर ही समझ आ रहा था.
अन्य स्थान पर हमले में बचे प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दो लोग सर से पैर तक काले कपड़ों में थे और फ्रेंच में कुछ बोल रहे थे. गोली से घायल हो चुके लोगों के पास जाकर वो उनके सर में गोलियां दाग कर उन्हें मार रहे थे. ये सब बहुत ही खौफनाक मंजर था.
अब तक करीब 150 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर मिल चुकी है. फ्रांस के अधिकारीयों के अनुसार मृतकों की संख्या और भी बढ़ सकती है. इस प्रकार का हमला फ़्रांस के लिए एक दम नया है.
इस हमले की तुलना हम 26/11 को हुए मुंबई हमले से कर सकते है जब इसी तरह कुछ फिदायीन आतंकी मुंबई में दाखिल हुए. मुंबई की सबसे महत्वपूर्ण और भीड़ भाड़ वाली जगहों में जाकर उन्होंने अंधाधुंध गोलियां बरसाकर सैंकड़ों निर्दोषों को मार डाला.
फ़्रांस में आतंकवादी हमला में भी कुछ ऐसा ही किया गया. फुटबॉल मैच, रॉक कंसर्ट और रेस्टोरेंट मतलब सभी भीडभाड वाली जगह जहाँ अंधाधुंध गोलियां चलाने पर जान माल की सबसे ज्यादा क्षति हो.
इस हमले के बाद पूरी दुनिया के राजनीतिज्ञों ने फ्रांस को आतंवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग देने की बात कही है.
फ़्रांसिसी सूत्रों की माने तो अभी भी शायद कुछ आतंकी छुपे बैठ है जिनसे देश के नागरिकों को खतरा है. फ्रांस की पहली प्राथमिकता उन छुपे आतंकियों को खत्म करना ही है.
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से अब तक फ्रांस पर ये सबसे बड़ा हमला है.
अब देखना ये है कि इस हमले के बाद फ्रांस क्या जिम्मेदार आतंकी संगठनों को खत्म करके निर्दोष नागरिकों और फ्रांस की अस्मिता पर किये हमले का बदला लेता है या फिर भारत की तरह कूटनीति और राजनीति में फंसकर बेबस बनकर रह जाता है.
इस आतंकी हमले से एक बात तो साफ़ है कि आज इस्लामिक आतंकवाद इतना बढ़ गया है कि दुनिया का विकसित से विकसित देश भी उनके हमलों से बचा हुआ नहीं है. जितना भी हम इन आतंकियों को खत्म करने का सोचते है ये उससे दो कदम आगे सोचकर हम पर हमला कर देते है.
अब समय आ गया है कि विश्व के हर देश को मिलकर इस संगठित आतंकवाद को समूल नष्ट कर देना चाहिए नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब आने वाली नस्लें एक अँधेरे कल में डर के साये में जीयेंगी.
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