अजीबो गरीब परम्परा – आपको हमारे देश में अजीबो गरीब मंदिर मिल जाएंगे। इन मंदिरों के अजीब होने से भी ज्यादा आश्चर्यजनक बात है कि कहां-कहीं अजीब सी परंपरा निभाई जाती है।
जैसे की मेरे तरफ एक मंदिर है जहां पर मन्नत पूरी होने से भेड़ की बलि दी जाती है। यह मंदिर मेरे वहीं पर काफी फेमस है और इस मंदिर का प्रसाद लड़कियां नहीं खाती हैं।
खैर बलि तो हर मंदिरों में आए-दिन चढ़ती है।
इसलिए शायद आपको सुनने में ये नई बात बी ना लगे। इसलिए इस पर ज्यादा बात नहीं करेंगे और मुद्दे पर आएंगे। आज का मुद्दा है वैसे मंदिर जहां पर अजीबों-गरीब परम्पराएं निभाई जाती हैं। इन मंदिरों में से की मंदिरों में चढ़ावे के तौर पर वाइन चढ़ती है तो कहीं डोसा चढ़ता है।
तो चलिए जानते हैं इन मंदिरों की अजीबो गरीब परम्परा –
चाइनीज़ काली मंदिर को चढ़ते हैं नूडल्स
ये मंदिर कोलकाता के फेमस मंदिरों में गिना जाता है। इस मंदिर में मौजूद चाइनीज़ काली मंदिर को यूं ही चाइनीज़ काली मंदिर नहीं कहा जाता हैं ब्लकि इसके पीछे भी एक कहानी है। चाइनाटाउन के लोग इस मंदिर में काली मां की पूजा करने आते थे तब से इस मंदिर का नाम चाइनीज काली मंदिर पड़ गया। पारंपरिक मीठे की जगह यहां काली मां को नूडल्स का चढ़ावा चढ़ता है। तो इस मंदिर में जब भी माता के दर्शन करने जाएं तो नूडल्स साथ में लेकर जाएं।
भक्तों को बांटे जाते हैं कामाख्या देवी के कपड़े
इस मंदिर के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यह असम के गुवाहाटी में स्थित है। कामाख्या मंदिर की कहानी काफी दिलचस्प है। जून में होने वाले अंबुबाची मेला (Ambubachi Mela) से पहले तीन दिन इस मंदिर को बंद रखा जाता है और चौथे दिन भक्तों के लिए इस मंदिर के द्वार खुलते हैं। भक्तों के लिए खोला जाता हैं। इस मंदिर में देवी के मौजूदगी वाले छोटे कपड़ों को श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है। आपको बता दें कि इस फेस्टिवल के दौरान कामाख्या देवी के दर्शन के लिए हजारों भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
अलागर मंदिर में चढ़ाया जाता डोसा
इस मंदिर में देवता को डोसे का भोग लगाया जाता है। मदुरई में स्थित अलागर मंदिर भगवान विष्णु का है और इस मंदिर का असली नाम कालास्हागर था। इस मंदिर में लोग भगवान विष्णु को डोसा चढ़ाते हैं और इस डोसे का सबसे पहले भोग भगवान विष्णु को लगाया जाता है। बाकी डोसा भगवान विष्णु के दर्शन करने आए भक्तों में प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है।
शहीद बाबा निहाल सिंह गुरुद्वारा
अगर आपका विदेश जाने का सपना है तो इस दुरुद्वारे में जरूर जाएं। जालंधर में स्थित शहीद बाबा निहाल सिंह गुरुद्वारे को लोग ‘हवाई जहाज गुरुद्वारे’ के तौर पर भी जानते हैं। दरअसल यहां आने वाले श्रद्धालु खिलौने वाले हवाई जहाज को चढ़ावे के तौर पर चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि इस चढ़ावे को चढ़ाने से उनके वीजा अप्रूवल में परेशानी नहीं आती है और उनका विदेश जाने का सपना पूरा होता है।
काल भैरव नाथ मंदिर
ये तो सबकोई को मालूम है कि भांग भैरव बाबू का प्रसाद होता है। इसलिए यहां भैरव बाबा को बाइन चढ़ाई जाती है। उज्जैन शहर के प्रमुख देवताओं में शुमार काल भैरव नाथ पर रोज वाइन की बोतलें चढ़ाई जाती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां आने वाले भक्तों को प्रसाद के तौर पर भी वाइन की बोतलें मिलती हैं। मंदिर के बाहर पूरे वाइन की दुकाने खुली रहती हैं।
ये है इन मंदिरों की अजीबो गरीब परम्परा – तो इन मंदिरों में कभी भी दर्शन के लिए जाएं तो इन मंदिरों के अनुसार दिए गए चढ़ावे को भी ले जाएं। भगवान की कृपा होगी।
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