ब्रिटेन में इन दिनों मंदिर दान में पांच पाउंड के नये नोट लेने से बच रह हैं.
कुछ मंदिरों ने अपने भक्तों से अपील की है कि वे दान के रूप में मंदिरों में जो 5 का नोट दान करते हैं वे न करे.
आपको ये बता दे कि भारत की तरह नोटबंदी से इसका कोई मतलब नहीं है.
दरअसल, जब से यह पता चला है कि ब्रिटेन में पांच पाउंड के नये नोटों में पशुओं की चर्बी के अंश मिले हैं, उसके बाद ब्रिटेन के सबसे बड़े हिन्दू मंदिरों में से एक सनातन मंदिर ने अपने भक्तों से पांच पाउंड के नये नोट दान में नहीं देने का अनुरोध किया. उसके बाद बाकी मंदिर भी उसी राह पर चल पड़े.
क्योंकि जैसे ही बैंक आफ इंग्लैंड ने इस खबर की पुष्टि की कि पांच पाउंड के नये नोटों में पशुओं की चर्बी के अंश हैं. उसके बाद वहां हिंदू मंदिरों ने पांच पाउंड के नये नोटों को चढ़ावे के रूप में लेने से इंकार कर दिया.
इसके पीछे इन मंदिरों के प्रमुख आचार्यों का कहना है कि पांच पाउंड के नये नोटों में पशुओं की चर्बी से हिन्दुओं की भावनाए आहत होती हैं. क्योंकि मंदिर आने भक्तों और श्रद्धालुओं में अनेक शाकाहारी होते हैं और पशुओं को नुकसान पहुंचाने में विश्वास नहीं रखते. लिहाजा मंदिर की समिति मंदिरों में इन नोटों के चढ़ावे पर प्रतिबंध लगाने पर भी विचार कर रही है.
गौरतलब है कि ब्रिटेन में सितंबर में शुरू किए गए पांच पाउंड के नया नोट जारी हुआ था.
यह नोट दिखने में सुंदर होने के साथ मजबूत है और फटता नहीं है. इतना ही नहीं आप इसे भिगो भी दे तो भी ये खराब नहीं होता है.
वाशिंग मशीन में धुल जाए तो भी ये सुरक्षित बच जाएगा और आपके काम आ जाएगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे बनाने के लिए जिस प्लास्टिक पॉलीमर ( कई अणुओं से मिलकर बनने वाला कार्बनिक यौगिक ) का इस्तेमाल हुआ है उसमें कुछ अंश चर्बी के हैं, जो कि जानवरों से मिलता है.
इस जानकारी के सामने आने के बाद वीगन और शाकाहारियों ने सोशल मीडिया पर अपनी चिंता जाहिर की है. वीगन वो लोग हैं जो किसी भी तरह के पशु उत्पाद से परहेज करते हैं, जिसमें दूध, दही भी शामिल है.
बैंक आफ इंग्लैंड द्वारा इस खबर की पुष्टि करने के बाद कि पांच पाउंड के नये नोटों में पशुओं की चर्बी के अंश हैं, सोशल मीडिया पर 40 हजार से भी ज्यादा लोगों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर कर इस नोट के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. उनकी मांग की है कि नए नोट को बनाने के लिए प्रयुक्त सामग्री बदली जाए.
आनलाइन याचिका में कहा गया है कि हम मांग करते हैं कि आप उस मुद्रा के उत्पादन में पशु उत्पाद का इस्तेमाल रोकें जिसे हमें इस्तेमाल करना होता है.
उनका कहना है कि सरकार को क्या उनके अधिकारों और भावनाओं का खयाल नहीं रखना चाहिए ?
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