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शाहजहां से कम नहीं है ये किसान – पत्नी के प्रेम में बना दिया इतना बड़ा मंदिर

पत्नी के प्रेम में – प्यार में लोग बड़ा बड़ा काम कर गए.

इस ज़माने ने प्यार में कुर्बान होने वाले लैला मजनू और हीर राँझा को देखा है. इसी दुनिया में शाहजहाँ भी था जिसने अपनी बेगम मुमताज़ की याद में ताज महल ही बना दिया. ये सब पुरानी बात हो गई.

अगर अब कोई कहे की प्यार का कोई ऐसा उदाहरण दो जिसने बड़ा काम किया हो तो शायद ही आप नाम ले पाएंगे.

लेकिन हम आपको एक ऐसे आदमी की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो सच में प्यार को सही अर्थ में परिभाषित किया है. इस शख्स ने प्यार की सारी सीमाएं ही तोड़ दिया.

अपने प्यार को इस तरह का तोहफा दिया कि आजतक किसी ने न तो किया था और न ही कभी सुना था. इस शख्स ने अपने प्यार को जिंदा रखने लिए एक मंदिर ही बनवा दिया.

ताजमहल तो एक शहंशाह ने बनवाया था, लेकिन एक आदमी जब अपने प्यार के लिए मंदिर बनवाता है तो वो भी ताजमहल के ही बराबर होता है.

आप सभी मुगल बादशाह शाहजहां की प्रेम कहानी से, तो वाक़िफ़ ही होंगे कि किस तरह उन्होंने अपनी बेग़म मुमताज़ की याद में ताजमहल बनाया. आज दुनिया भर से लोग शाहजहां के इस प्रेम प्रतीक की एक झलक पाने को बेताब रहते हैं. इस प्रेमी की कृति को देखकर आप धन्य हो जाएंगे. कर्नाटक के राजूस्वामी भी एक ऐसे ही प्रेमी हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी के प्रेम में, पत्नी की याद में एक मंदिर बना डाला है.

इतना ही नहीं, राजू ने मंदिर में अपनी पत्नी की एक मूर्ति भी स्थापित की है. अन्य देवताओं के साथ उनकी भी पूजा की जाती है. तो अब आपके समझ में आई कि कितना बड़ा आशिक है ये.

ऐसा उदाहरण आपको पहले कभी सुनने को नहीं मिला होगा.

ये पहली बार है जब किसीने पत्नी के प्रेम में मंदिर बनवा दिया हो. येल्लंदुर के कृष्णापुरा गांव में स्थित ये मंदिर राजू की पत्नी राजम्मा के नाम से प्रसिद्द है.

इस मंदिर को देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. मंदिर में उनकी पत्नी राजम्मा की जो मूर्ति है उसे राजू ने ख़ुद ही बनाया है. जबकि राजम्मा की मूर्ति को शनीश्वर, सिद्दप्पाजी, नवग्रह और भगवान शिव की मूर्तियों के साथ ही रखा है. लोग उसकी पत्नी की भी पूजा करते हैं.

इन दोनों की शादी से उनके माता पिता खुश नहीं थे.

इस आदमी ने कहा, सिर्फ़ मेरी बहन और साला ही इस रिश्ते के लिए राज़ी थे. लेकिन सभी परेशानियों को दरकिनार करते हुए मैंने राजम्मा से शादी की. शादी के कुछ दिन बाद मेरी पत्नी ने मुझे गांव में एक मंदिर बनाने को कहा. लेकिन जब तक मंदिर बनकर तैयार होता, तब तक मेरी पत्नी चल बसी. इसलिए मैंने अपने हाथों से उसकी मूर्ति बनायी और मंदिर में स्थापित कर दी. पत्नी नहीं रही लेकिन अब लोग उसकी पूजा करते हैं.

पत्नी के प्रेम में, पत्नी की याद में बनवाया गया ये मंदिर सच में अपने आप में प्यार करने वालों के लिए उदाहरण है. ऐसा प्रेमी हर किसी को नहीं मिलता. बड़ी नसीब वाली थी उसकी प्रेमिका. मंदिर बनवाकर अपनी प्रेमिका को सबके लिए पूज्यनीय बना दिया इस प्रेमी ने.

Shweta Singh

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Shweta Singh

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