धर्म और भाग्य

रावण के जन्म स्थान और ससुराल में आज भी रावण मंदिर में पूजा जाता है

रावण … प्रकांड पंडित,विलिक्षण योद्धा,महाशक्तिशाली था. 

लेकिन एक भूल की वजह से इतिहास में खलनायक बन गया.

ज़रा सोचिये अगर रावण सीता हरण नहीं करता तो क्या होता? तब शायद इतिहास रावण को एक राक्षस के रूप में नहीं एक तेजस्वी राजा के रूप में जानता.

क्या रावण को सभी लोग बुरी नज़र से देखते है और उसे खलनायक मानते है?

माना देश के अधिकतर हिस्सों में रावण की छवि एक राक्षस की है जिसका संहार भगवान राम ने किया था. लेकिन फिर भी कुछ हिस्से ऐसे है जहाँ आज भी रावण को पूजा जाता है.

रावण का पूजन उसके गुणों की वजह से होता है. कहा जाता है कि अपने समय में रावण से बढ़कर पंडित और शास्त्रों का ज्ञाता  तीनों लोकों में नहीं था. शास्त्रों के साथ साथ रावण शस्त्रों के मामले में भी सर्वश्रेष्ठ था.

श्री लंका में कई स्थानों पर रावण मंदिर है जहाँ उसे देवता की तरह पूजा जाता है.

श्री लंका की तरह ही भारत के दक्षिणी हिस्से खासकर तमिलनाडु में भी रावण की पूजा की जाती है. यहाँ भी रावण के कई मंदिर है. दक्षिण भारत और श्री लंका में रावण की पूजा होने का कारण समझ आता है पर चौंकाने वाली बात ये है कि उत्तर भारत में भी कई रावण मंदिर है.

रावण के प्रमुख मंदिरों के बारे में आपको जानकारी देते है.

बिसरख नॉएडा

इस स्थान को रावण का जन्म स्थल माना जाता है. यहाँ पर बहुत प्राचीन रावण मंदिर है. इन मंदिरों में से कुछ मंदिरों के बारे में तो कहा जाता है कि वो मंदिर 1000 साल से भी ज्यादा पुराने है. बिसरख में ना रामलीला होती है ना दशहरे पर रावण दहन किया जाता है. दशहरे के दिन गाँव के बड़े बूढ़े रावण की मृत्यु का शोक मनाते है.

काकीनाडा आंध्र प्रदेश

काकीनाडा में एक बहुत बड़ा शिव मंदिर है. इस मंदिर में एक विशालकाय शिवलिंग है. कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं रावण ने की थी. इस मंदिर के प्रांगण में रावण की करीब 30 फीट लम्बी मूर्ति है. यहाँ आने वाले श्रद्धालु शिव के साथ साथ रावण की भी पूजा करते है.

रावणग्राम विदिशा मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में कान्यकुब्ज ब्राह्मण रावण की पूजा करते है. विदिशा के रावण ग्राम में पुरातन रावण मंदिर है. इस मंदिर में रोज़ पूजा अर्चना की जाती है. मध्यप्रदेश के मंदसौर को रावण का ससुराल माना जाता है. कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की थी.

कानपूर उत्तरप्रदेश

कानपुर में सैंकड़ों साल पहले राजा शिवशंकर रावण मंदिर बनाया था. आज भी ये मंदिर कानपूर में स्थित है. इस मंदिर की खासियत ये है कि ये मंदिर साल में सिर्फ एक दिन खुलता है. दशहरे के दिन इस मंदिर को खोला जाता है और रावण की पूजा अर्चना की जाती है.

मंडोर,जोधपुर राजस्थान

मुद्गल गोत्र के ब्राह्मण रावण को अपना पूर्वज मानते है. हर साल दशहरे के दिन रावण का श्राद्ध किया जाता है. इस दिन ये लोग रावण का पिंडदान करते है. कुछ समय पहले मंडोर में रावण मंदिर का भी निर्माण किया गया है जहाँ रोज़ रावण की पूजा की जाती है.

देखा आपने हमारे भारत में कितनी विचित्र बातें है. एक और जहाँ रावण पर राम की विजय के रूप में दशहरे का पर्व मनाते है वहीँ दूसरी ओर देश के कुछ हिस्से ऐसे भी है जहाँ दशहरे के दिन रावण की मृत्यु का शोक मनाया जाता है और श्राद्ध भी किया जाता है.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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