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1857 से पहले बने इस मंदिर में दी जाती थी अंग्रेजों की बलि ! आज भी बरकरार है बलि की परंपरा !

अंग्रेजों की बलि

अंग्रेजों का सिर किया जाता था अर्पण

बिहार और देवरिया जाने का मुख्य मार्ग शत्रुघ्नपुर के जंगल से होकर जाता था. इस रास्ते से गुज़रनेवाले अंग्रेजों का सामना कई बार क्रांतिकारी बंधु सिंह से हो जाता था.

कहा जाता है कि बंधू सिंह गोरिल्ला युद्ध नीति में निपुण थे.

जब भी बंधू सिंह की मुठभेड़ अंग्रेजों से होती थी, तब बंधु सिंह अंग्रेजों को मारकर उनका सिर इसी जंगल में तरकुल के पेड़ के नीचे स्थित पिंडी पर देवी मां को अर्पण कर देते थे.

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