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1857 से पहले बने इस मंदिर में दी जाती थी अंग्रेजों की बलि ! आज भी बरकरार है बलि की परंपरा !

अंग्रेजों की बलि

आपने देश के कई ऐसे मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां आज भी बलि देने की प्रथा है.

लेकिन क्या आप एक ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं जहां जानवरों की नहीं बल्कि इंसानों की बलि चढ़ाई जाती थी.

आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां अंग्रेजों की बलि दी जाती थी.

दरअसल अंग्रेजों की बलि लेनेवाला यह अनोखा मंदिर गोरखपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है, जो तरकुलहा देवी मंदिर के नाम से मशहूर है.

तरकुलहा देवी मंदिर

बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1857 के संग्राम से पहले ही किया गया था.

डुमरी के क्रांतिकारी बाबू बंधू सिंह के पूर्वजों ने एक तरकुल यानि ताड़ के पेड़ के नीचे पिंडियां स्थापित की थी, जो आगे जाकर तरकुलहा देवी के रुप में विख्यात हुई.

ऐसी मान्यता है कि मां काली ही तरकुलहा देवी पिंडी के रुप में यहां विराजमान है. जो यहां के स्थानीय लोगों की कुलदेवी भी मानी जाती हैं.

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