गुरु शिष्य परंपरा और आज की शिक्षा पद्धति
कुछ आकड़ों के अनुसार भारत में 31 करोड़ से अधिक विद्यार्थी हैं, इनमें स्कूल और कॉलेज दोनों के छात्रों का समावेश है. वास्तविकता आप जानते ही हैं कि इतने विद्यार्थियों में से कितने विद्यार्थी वास्तव में शिक्षा प्राप्त करने आते हैं. भारत में शिक्षा का बड़ा महत्त्व रहा है और भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का. गुरु-शिष्य परंपरा का उल्लेख हम सभी पुराणों में पा सकते है जैसे की उपनिषद्, महाभारत आदि परन्तु वो एक अलग युग था और आज का युग अलग है. आज गुरु- शिष्य का रिश्ता रह कहाँ रह गया है?
चलिए देखते हैं की कलयुग में कितना बदल गया है ये रिश्ता
आलोचक यह भी कह सकते हैं कि आज के शिक्षक में पहले वाली बात नहीं रही. वह पक्षपात करते है और व्यवसायिक बन गए है और इसीलिए हम इन्हें शिक्षक कहते है, गुरु नहीं.
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