होटल में टॉयलेट टैक्स – अब पता चल रहा है कि आखिर भारत इतने जल्दी कैसे दुनिया का छठा सबसे अमीर देश बन गया.
ऐसी ऐसी चीज़ों पर अब टैक्स लग रहा है कि जिसका अंदाज़ा लगाना आम इंसान के बस की बात नहीं. जब से नई सरकार आई है तब से अच्छे दिन आएँगे कह कहकर आम लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन हराम कर दिया है. मोदी सरकार के आने के बाद लगा था कि कांग्रेस के बाद ये देश का कुछ तो भला करेगा, लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टे ही.
नौकरीपेशा वालों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के पास महीने के खर्च के पैसे नहीं हैं, लेकिन उन्हें होटल में टॉयलेट टैक्स देना पड़ता है.
होटल में टॉयलेट टैक्स –
टैक्स देने की ऐसी लहर इस सरकार में आ गई है कि अब लोगों के सूसू करने पर भी टैक्स लग रहा है.
जी हाँ, हैरान मत होइए. एक दौर था जब होटल में लोग पानी पी सकते थे और टॉयलेट का यूज़ कर सकते थे. आमतौर पर ये होटल के मालिकों ने छूट राखी थी. लोगों का ऐसा मानना है कि ये दोनों ही चीज़ नेचुरल हैं. किसी को भी कहीं भी आ सकती है. कभी भी किसी को प्यास लग सकती है.
ऐसे में पैसे न होने पर भी लोगों को मुफ्त में पानी पिलाना और अपने होटल का टॉयलेट यूज़ करने की अनुमति दी जाती थी.
अब ऐसा नहीं है. अब तो लगता है कि थोड़े ही दिन में साँस लेने पर भी टैक्स देना पड़ेगा.
मज़ाक नहीं कर रहे हैं हम. ऐसी घटना ही हो रही है अब भारत में कि हर बात संभव है. खबर है दक्षिण भारत की. तमिलनाडु के इरोड शहर में एक होटल वाले ने टॉयलेट यूज़ करने पर भी टैक्स लगा दिया. बाकायदा उसे बिल में ऐड किया. जब व्यक्ति ने अपने बिल पर वो टैक्स देखा तो उसके तो होश उड़ गए. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ऐसा भी कुछ टैक्स होता है या लग सकता है.
इस आदमी ने उस होटल में कुछ खाया. खाने का बिल और gst तो उसे समझ में आया, लेकिन जैसे ही उसकी नज़र नीचे गई तो उसने देखा कि 11 रुपये का टैक्स लिया गया है, जो टॉयलेट उपयोग करने का था. मतलब इस बिल में 10 रुपये तो ‘टॉयलेट’ का चार्ज थे उसके बाद 50 पैसे पार्सल चार्ज, 26 पैसे स्टेट जी.एस.टी. था. मतलब आज की दुनिया में क्या-क्या हो रहा है इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. इस तरह का टैक्स शायद ही कभी आपने दिया हो.
वैसे लगता है कि साउथ के लोगों को पैसा खाने की कुछ ज्यादा ही आदत हो गई है. जो इस तरह से टैक्स वसूल रहे हैं. अभी क्या लोगों पर टैक्स कम हैं, जो अब सूसू पर भी कर देकर उन्हें मरने के लिए कहा जा रहा है. वैसे ही जितने पब्लिक टॉयलेट बने हैं, वहां पर लोगों से बाकायदा २ और ५ रूपए लिए जाते हैं, जबकि वो सरकार से पैसे लेते हैं. वहां पर उन लोगों को सैलरी मिलती है. इसके बाद भी लोगों से पैसे लेकर उन्हें सौचालय की सुविधा मिलती है.
ज़रा सोचिए अगर आपकी जेब में फूटी कौड़ी न हो और आपको टॉयलेट जाना ज़रूरी हो, तो आप ऐसे में क्या करेंगे.
आप सड़क पर करते हैं तो आपको गंवार माना जाएगा, लेकिन सरकार द्वारा बनाए इन सौचालय में पैसे देने के लिए आपके पास पैसे हैं नहीं, ऐसे में क्या उचित है. क्या आप उसे रोककर बीमारियों के शिकार हों या सड़क पर करके पुलिस के हाथ चढ़ें.