तवायफ नाम सुनते है जिस्म, बदन और शरीर को कमाई का जरिया बनाने वाली का नाम जहन में उभरने लगता है.
पारिवारिक जीवन तो इनके नसीब में होता ही नहीं है. कई फ़िल्में बॉलीवुड में ऐसी है जिसमें तवायफ बनने के कारणों पर प्रकाश डाला गया है. साथ ही उन्हें एक सभ्य जीवन जगने वाले इंसान से बेहतर दिल वाला और उनके मानवीय पहलू को बताया गया है.
आईए नजर डालते है उन फ़िल्मों पर जिसमें तवायफ़ को एक मनोरंजन का साधन ना बताकर उनके मानवीय पहलू को बताया गया है.
1. पाकीजा-
ये बॉलीवुड की वो पहली एक्ट्रेस थी जिन्होने बड़े संजीदा तरीके से एक तवायफ का रोल अदा किया था.
तहजीब और अदब के शहर लखनउ में घुंघरुओं की खनक के बीच इन्ही लोगो ने लिया दुप्पटा मेरा गीत के गाती हुई मीना कुमारी को दिखाया गया था. इस फ़िल्म में मीना कुमारी और राजकुमार की प्रेम कहानी को दिखाया गया था.
2. उमरावजान-
इस फ़िल्म को रेखा के करियर का मील का पत्थर का कहा जा सकता है.
इस फ़िल्म के लिए रेखा को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड मिला था. इस फ़िल्म में बताया गया है कि किस तरह एक मासूम बच्ची को अगवा करके तवायफ बनने को मजबूर किया जाता है. इस फ़िल्म में उमराव जान की दो अधूरी प्रेमकहानी दिखाई गई है. पहली नवाब का किरदार अदा कर रहे फारुख़ शेख के साथ जो कि सामाजिक दबाव की वजह से पूरी नहीं होती है. दूसरी एक डकैत के साथ बताई गई है. जो कि डकैत की मौत की वजह से खत्म हो जाती है.
फ़िल्म में रेखा की अपने घर वापसी भी बताई गई है लेकिन वो अपने परिवार वालों की इज्जत के खातिर वापस अपनी पुरानी जिंदगी में लौट जाती है.
3. उमरावजान की अदा-
रुसवा के उपन्यास पर आधारित उमराव जान पर एक और फ़िल्म आई थी जिसका नाम था उमराव जान की अदा. जे पी दत्ता की इस फ़िल्म में ऐश्वर्या रॉय उमराव जान के रोल में बहुत खूबसूरत लगी. लेकिन पुरानी उमराव जान के आगे ये फ़िल्म फीकी और घाटे का सौदा साबित हुई.
4. सांवरिया, मंगल पांडे और लागा चुनरी में दाग-
इस बंगाली बाला ने फ़िल्म सांवरिया में प्रोस्टीट्यूट का रोल किया था.
तो वहीं मंगल पांडे में ब्रिटिशकालिन तवायफ बनीं थी. उनकी फ़िल्म लागा चुनरी में दाग तो पूरी तरह महिला प्रधान फ़िल्म कही जा सकती है. इस फ़िल्म में उन्होने हाईप्रोफाईल प्रोस्टीट्यूट का रोल किया था. जो कि नौकरी की तलाश में छोटे शहर से महानगर में आती है और मजबूरी में देह व्यापार का रास्ता चुनती है.
साथ ही इसमें अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी की लव स्टोरी भी बताई गई थी.
5. काल्की कोएचलिन-
फ़िल्म देव डी में काल्की कोएचलिन ने एक मार्डन प्रोस्टीट्यूट का रोल किया था.
इस फ़िल्म में कल्की का एमएमएस रीलिज हो जाता है जिसकी वजह से उन्हे घर से निकाल दिया जाता है और वो प्रोस्टीट्यूशन की तरफ रुख करती है.
इस फ़िल्म कल्की और अभय देओल की लव स्टोरी का एंगल भी बताया गया है.
6. देवदास –
इस फ़िल्म में माधुरी ने एक खूबसूरत और शानदार डांसर का काम बखूबी किया था.
इस फ़िल्म में उन्होंने चंद्रमुखी नाम की तवायफ का रोल किया था. इस फ़िल्म में माधुरी ने का ये डॉयलॉग तवायफों की स्थिती बयां करता है “ तवायफों की तो तकदीर ही नहीं होती…”
7. चमेली और तलाश-
करीना कपूर ने फ़िल्म चमेली में एक सिज़नोफ्रेनिक प्रोस्टीट्यूट का रोल प्ले किया था.
इस फ़िल्म में मानव व्यापार का पहलू बताया गया है. इस फ़िल्म करीना के घर का सदस्य ही उसे बेच देता है. इस फ़िल्म की कहानी धंधा करने वाली चमेली और बैंकर राहुल बोस के ईर्द गिर्द घुमती है. एक रात मजबूरी में राहुल बोस को फुटपाथ के एक शेड में चमेली के साथ पूरी रात गुजारना पड़ता है.
पहले चमेली में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं लेता है. बाद उसे अहसास होता कि प्रोस्टीट्यूट भी जिस्मों जान से परें एक सकारात्मक इंसान हैं.
चमेली के बाद फ़िल्म तलाश में करीना ने रेडलाईट एरिया में रहने वाली कालगर्ल का रोल किया था. “ये है गुमराहों का रास्ता मुस्काने झूठी है” जैसा गीत एक बीयर बार में फिल्माया गया था. इस फ़िल्म में करीना एक आत्मा बनकर इंस्पेक्टर बनें आमिर खान की एक गुत्थी सुलझानें में मदद करती है.
8. चांदनी बार-
इस फ़िल्म के लिए तब्बू को नेशनल अवार्ड मिला था.
इस फ़िल्म तब्बू ने एक बार डांसर का रोल किया था जो कि एक गैंग्सटर से शादी कर लेती है लेकिन अपने पति की मौत के बाद देह व्यापार के लिए मजबूर हो जाती है.
9. चोरी चोरी चुपके –
इस फ़िल्म में प्रीटी जिंटा ने बार में काम करने वाली एक अल्हड़ डांसर का रोल प्ले किया था.
जो पैसे के लिए सलमान और रानी के लिए एक बच्चे की मां बनने को तैयार हो जाती है. फ़िल्म के आखिर में बिना कुछ पैसे लिए अपना बच्चा वो उन दोनों को दे देती है और एक नई जिंदगी शुरु करती है.
10. मंडी-
इस फ़िल्म में अपने सहज अभियन के लिए मशहूर स्मिता पाटिल ने एक तवायफ का रोल किया था. इसके लिए उनको बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड मिल चुका है.
बॉलीवुड में कई ऐसी फ़िल्में बनी है जिसमें तवायफों को सिर्फ जिस्म के जरिए अपनी रोजी रोटी चलाने वाले इंसान के परे उनके मानवीय पहलू को उजागर किया है.
भंसाली की आनेवाली फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में दीपिका पादुकोण एक तवायफ का रोल कर रही है. इस फ़िल्म में उनके और पेशवा बाजीराव की प्रेमकहानी को दिखाया गया है.
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