ये तंत्र-मन्त्र साधना इतनी शक्तिशाली है कि भारत के एक प्रधानमंत्री को लगाना पड़ा था इस पर बैन!
माता के नवरात्रों का हमारे लिए तो महत्व बस इतना ही होता है कि माँ हमारे परिवार को खुशहाल रखें और हमारा कामधंधा सही चलाती रहें.
किन्तु अघोरी साधुओं के लिए माता के नवरात्रे का विशेष महत्त्व होता है. तंत्र-मन्त्र साधना को सीखने वाले लोगों के लिए यह समय महत्वपूर्ण होता है. ऐसा बोला जाता है कि एक साधक पूरे साल तंत्र-मन्त्र साधना करता है, सीखता है और साल के नवरात्रों के समय वह इस तंत्र-मन्त्र साधना को सिद्ध करता है.
असल में नवरात्रों के समय अघोरी संप्रदाय सबसे कठिन साधना करता है.
इनकी साधना इतनी शक्तिशाली भी होती है कि यह धन से लेकर स्वर्ग में अपनी जगह भी निश्चित कर सकते हैं. कई बार तो अघोरियों की तंत्र-मन्त्र साधना से कई देवताओं के सिंहासन तक हिल जाते हैं. अब आप इस साधना से इसलिए वाकिफ नहीं हैं क्योकि यह साधना भारत में बैन की हुई है.
तो आज हम आपको इसी तंत्र-मन्त्र साधना से जुड़ी हुई सारी जानकारी देने वाले हैं-
शव साधना का नाम सुना है क्या आपने?
शव साधना में अघोरी शव के ऊपर बैठकर साधना करते हैं. यह साधना इतनी शक्तिशाली है कि यदि सफल हो जाये तो साधक देवताओं से भी ज्यादा अधिक शक्तिशाली हो जाता है. वह नाम लेकर व्यक्ति की मृत्यु तक कर सकता है. शव साधना को खुले में तो बिलकुल नहीं किया जाता है. हिमालय की गुफाओं में बैठकर बाबा और अघोरी शव साधना कर रहे होते हैं.
इस साधना के लिए सबसे जरुरी शव होता है. शव के ऊपर बैठकर आधी रात के बाद यह साधना की जाती है. ऐसा बोला जाता है कि यदि कोई अज्ञानी व्यक्ति इस साधना को करता है तो शव उसकी जान तक ले सकता है.
शव में आ जाती है जान –
शव साधना के अंदर जब पूजा शुरू होती है तो कुछ ही समय में मुर्दा बोलने लगता है. धीरे-धीरे मुर्दा खड़ा होता है और तब यह आपके सभी काम करता है. आप बेशक इस साधना को मजाक में लें किन्तु इस साधना की सच्चाई और सत्यता के प्रमाण शास्त्रों में लिखे हुए हैं. यह शव साधना इतनी शक्तिशाली है तभी तो भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने इस पर रोक लगा दी थी. (ऐसा हमको अघोरी ने बताया है, इस बात का कोई सबूत अभी तक तो हमारे हाथ नहीं लगा है कि नेहरु जी ने यह साधना बैन की है किन्तु इस साधना को सच में कोई भी शायद खुलेआम नहीं इसी बैन के कारण नहीं करता है). इस साधना के लिए शव बहुत जरुरी होता है. शव जब नहीं मिलता है तो कुछ तांत्रिक निजी फायदे के लिए व्यक्ति को मार भी देते थे. शव साधना के लिए सबसे जरुरी है कि आपको सही समय और सही मुहूर्त में यह साधना करनी होती है.
पहले शव से लेनी पड़ती है अनुमति –
शव साधना के लिए जरुरी है कि जिस व्यक्ति का शव उपयोग किया जा रहा है पहले उससे अनुमति ली जाये. शव उसी व्यक्ति का हो जिसकी अकारण मौत हुई हो. अकारण मौत के कारण उस व्यक्ति की आत्मा आसपास ही होती है और वह अघोरी की मदद करती है. शव पूजा के समय आसपास हजारों-लाखों भूतों का अदृश्य जमघट लग जाता है. अघोरी की पूजा इन भूतों से तभी बच सकती है जब वह भूतों से निपट सकता है.
आज भी हिमालय के जंगलों में नवरात्रों के समय अघोरी शव साधना करते हैं.
यह साधना बैन है इसलिए अघोरी छुपकर इस तरह की साधना करते हैं. तो इस प्रकार शव साधना जैसी शक्तिशाली साधना से हर कोई डरता है. यह साधना करना हर किसी के वश की बात भी नहीं है.
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