कैरियर

अभाव में पढ़कर इन बच्चों ने किया टॉप आप भी पढ़ें इनकी स्टोरी !

शिवानी पवार – ये तो सब जानते हैं कि अच्छे भविष्य के लिए पढ़ाई-लिखाई कितनी ज़रूरी है. ठीक तरह से पढ़ाई न करने पर अच्छी नौकरी नहीं मिलती. अच्छी नौकरी न मिले तो घर नहीं चल पाता. इतना ही नहीं धीरे-धीरे मनोबल जवाब दे देता है और कई ऐसे लोग मौत के मुहं में समां गए हैं. आत्महत्या कर लेते हैं लोग. इसलिए कहते हैं कि पढ़ाई बहुत ज़रूरी है.

पढ़ाई ज़रूरी तो है लेकिन इसके लिए बुनियादी सुविधाओं का होना उससे भी ज्यादा ज़रूरी है. आज भी भारत में लाखों बच्चे हैं जो स्कूल नहीं जा पाते. उन्हें सही शिक्षा नहीं मिल पाती. इसका कारण उनकी गरीबी है.

शिवानी की कहानी 

इसी गरीबी को मात देते हुए एक ऐसी लड़की आगे बढ़ी है, जिसकी कहानी आपको ज़रूर पढनी चहिये. इस लड़की ने गरीबी को मात देते हुए पढ़ाई की और परीक्षा में अव्वल स्थान पाया. बीचकवाड़ा में रहने वाली शिवानी पवार ने 12वीं के कला संकाय की मेरिट में पहला स्थान प्राप्त किया है. शिवानी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, उमरेठ की छात्रा है.

10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना

हर दिन उन्हें 10 किमी का सफर तय कर स्कूल जाना पड़ता था, जिसमें से 5 किमी कच्चे रास्ते पर पैदल चलना पड़ता. ज़रा सोचिए आज आप अपने बच्चे को अच्छी सुविधा देने के लिए क्या कुछ नहीं करते, लेकिन इतनी गरीबी के बाद इस तरह से टॉप करना सच में गर्व से भर देता है.

मजदूर पिता की बेटी

ऐसा नहीं है कि शिवानी के पिता कोई अच्छी नौकरी करते हैं. नहीं, शिवानी के पिता मजदूर हैं. दिनभर काम करते हैं तब जाकर रात को खाना नसीब होता है. ऐसे गरीब बाप की बेटी जब स्कूल में टॉप करती है तो उसका सीना गर्व से फूल जाता है. परिस्थितियां काफी मुश्किल होने के बाद भी शिवानी ने हार नहीं मानी, वो सुबह 4 बजे उठकर हर दिन 10 घंटे तक पढ़ाई करती थी. आस-पास के लोगों ने भी उसे प्रोत्साहित पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और आज शिवानी ने यह मुकाम पाया. शिवानी टीचर बनना चाहती है.

चुनेश्वरी साहू की कहानी 

कहते हैं कि अगर मन में विश्वास हो तो हिमालय पर भी फतह की जा सकती है. इसका ताज़ा उदाहरण दिया है दसवीं में सातवीं रैंक प्राप्त करने वाली राजधानी के पुराने राजेंद्र नगर निवासी चुनेश्वरी साहू ने. रायपुर में दुनिया की सारी सुविधाएं मौजूद हैं, यहां के छात्र तकनीक और इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया से जुड़े हैं उन सबको पछाड़ते हुए अपने आप को स्थापित किया है चुनेश्वरी ने.

शिवानी पवार की दादी की पेंशन पर गुज़ारा

चुनेश्वरी का घर दादी की पेंशन से चलता है. उसके दादाजी बिजली विभाग में नौकरी करते थे, जिनके निधन के बाद दादी को पेंशन मिलती है. दादी चुनेश्वरी को बहुत बड़े पोस्ट में नौकरी करते देखना चाहती हैं. इसके लिए वह घर का राशन बाद में, पहले चुनेश्वरी के लिए किताबें और उसकी जरूरत की चीजें खरीदती हैं.

भले ही चुनेश्वरी गरीब हो, लेकिन उसके माता-पिता ने उसका पूरा साथ दिया. घर में उसको पढने की पूरी आज़ादी दी गई.

सच कहते हैं कि पहले लड़कियों को उनके हिस्से का आसमान तो दो उड़ान भरना तो चुटकी का काम है.

Shweta Singh

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