अमर प्रेम की निशानियाँ – दुनिया के सात अजूबो में शामिल आगरा का ताजमहल शाहजहां और मुमताज के प्रेम का प्रतीक है, जो दुनिया भर में मशहूर है तभी को प्रेम की इस निशानी का दीदार करने के लिए देश और दुनिया से लोग आगरा आते हैं.
आगरा का ताजमहल एक ऐसे प्रेम का प्रतीक है जिसका कोई मुकाबला नहीं है.
भारत के मुगल बादशाह शाहजहां ने पत्नी मुमताज की याद में अत्यंत सुंदर, आलीशान महल बनवाया. जिसकी सुंदरता और भव्यता को देखते हुए उसे ताजमहल का नाम दिया गया.
हालांकि ताजमहल का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है लेकिन दुनिया में कई ऐसी अमर प्रेम की निशानियाँ भी हैं जो अमर प्रेम के प्रतीक के तौर पर दुनियाभर में मशहूर है.
तो चलिए हम आपको दिखाते हैं दुनिया की कुछ और अमर प्रेम की निशानियाँ जो आगरा के ताजमहल से कम नहीं है.
अमर प्रेम की निशानियाँ –
1 – बोल्ट कैसल
अमेरिका के अरबपति जॉर्ज बोल्ट ने कनाडा में एक आइलैंड पर बोल्ट कैसल महल को अपनी प्यारी पत्नी लुईस के लिए बनवाया था. प्रेम के इस प्रतीक को बनाने का काम सन 1900 में शुरू हुआ था. बोल्ट ने इस काम में उस समय के मशहूर और महंगे से महंगे आर्किटेक्ट और कारीगरों को लगाया था.
बोल्ट इस खूबसूरत कैसल को अपनी पत्नी के जन्मदिन और वैलेंटाइन डे पर उपहार के रुप में भेंट करना चाहता था. लेकिन अपने जन्मदिन से ठीक एक महीने पहले ही 42 साल की लुईस इस दुनिया को छोड़कर चली गई.
साल 1904 में लुईस की मौत के बाद बोल्ट कैसल बनाने का काम बंद कर दिया गया और 1977 से यह कैसल एक टूरिस्ट केंद्र के रुप में जाना जाने लगा. यह कैसल दुनिया के किसी राजमहल से कम नहीं है.
2 – माउसोलस का मकबरा
जिस तरह से शाहजहां ने मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया ठीक उसी तरह से टर्की में अर्टमीसिया ने अपने पति माउसोलस की याद में माउसोलस का मकबरा बनवाया था.
377 बीसी में बना माउसोलस का मकबरा पति-पत्नी के अमरप्रेम के निशानी के तौर मशहूर है. बताया जाता है माउसोलस अपनी रानी अर्टमीसिया के साथ हैलीकारनासस और उसके आसपास के क्षेत्रों में 24 साल तक राज करता रहा.
अर्टमीसिया और माउसोलस एक-दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते थे. लेकिन सन 353 बीसी में माउसोलस की अचानक मृत्यु हो गई. तब रानी अर्टमीसिया ने अपने पति की याद में दुनिया का सबसे बड़ा और शानदार बहुममूल्य मकबरा बनाने का फैसला किया.
यह मकबरा अपनी सुंदरता, विशालता और खूबसूरत शिल्पकला की वजह से दुनिया के मशहूर और ऐतिहासिक मकबरों में शुमार हो गया. माउसोलस की मौत को 2 साल भी नहीं बीते थे कि अर्टमीसिया की भी मौत हो गई. जिसके बाद अर्टमीसिया के पार्थिव शरीर को भी इसी मकबरे में दफनाया गया. ताजमहल की तरह दोनों प्रेमियों के शरीर अपने बनाए इस शानदार मकबरे के नीच शांत पड़े हैं.
3 – हुमायूं का मकबरा
दिल्ली में बने हुमायूं के मकबरे की शानोशौकत ताजमहल से कम नहीं है. मुगल बादशाह हुमायूं की मौत के बाद उसकी पत्नी हमीदा बानो बेगम ने अपने पति की याद में 1565 में दिल्ली में मथुरा रोड के पास एक आलीशान मकबरा बनवाया.
15 लाख रुपयों में बनने वाले हुमायूं के इस मकबरे को ताजमहल का दादा भी कहते हैं. चारों तरफ सुंदर और हरेभरे बगीचों से घिरा यह मकबरा दिल्ली का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि यह मकबरा नहीं बल्कि किसी राजा का आलीशान महल है.
4 – हैंगिंग गार्डेंस
बेबीलोन के हैंगिंग गार्डेंस को बने 2,500 साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अपने समय में बने स्मारकों में यह अपनी खूबसूरती और इससे जुड़ी कहानी के चलते ताजमहल की श्रेणी में शुमार है.
इस हैंगिंग गार्डेंस को सेवन वंडर्स ऑफ एंशिएंट वर्ल्ड में गिना जाता है. बेबीलोन के बादशाह ने इसे 605 बीसी में अपनी पत्नी एमिटिस को खुश रखने के लिए बनवाया था.
इतिहास में इस तरह के अनोखे प्यार का दूसरा कोई उदाहरण नहीं मिलता क्योंकि प्राकृतिक सौंदर्य के बीच रहनेवाली पत्नी एमिटिस की उदासी को दूर करने के लिए बेबीलोन के बादशाह ने कृत्रिम पहाड़ पर हरेभरे जंगल, हरियाली और बागबगीचे बनाने की योजना बनाई जो हैंगिंग गार्डेंन्स के रुप में सामने आई.
पति के द्वारा पत्नी के प्यार में बनाया गया यह सुंदर, आकर्षक स्मारक किसी ताजमहल से कम नहीं था लेकिन वक्त की मार ने इसे आज एक खंडहर में तब्दील कर दिया है.
ये है अमर प्रेम की निशानियाँ – दुनिया के कई कोनों में अमर प्रेम के प्रतीक ताजमहल को बनाने की कोशिश की गई लेकिन आगरा के ताजमहल जैसा दूसरा ताजमहल कोई नहीं बना सका. लेकिन अमर प्रेम की ये निशानियां ऐसी हैं जो भले ही ताजमहल जैसी ना नहीं है लेकिन ताजमहल से कम भी नहीं है.