सुरुचि प्रकाशन ने एक पुस्तक निकाली है जिसका नाम है सूफियों द्वारा भारत का इस्लामीकरण.
जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है कि पुस्तक में यह बताने की कोशिश की गयी है कि जो सूफी भारत में आये या जो मुस्लिम सूफी भारत में बनाये गये थे उनका एक ही मुख्य काम होता था कि कैसे भी कैसे हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जाये.
आप आज को धर्मान्तरण देख रहे हैं कुछ ऐसा हजारों सालों पहले भी हुआ था.
पुस्तक में बताया गया है कि आज जो मुस्लिम भारत में रह रहे हैं असल में उनमें से आधे कभी हिन्दू हुआ करते थे. अब इस बात में सच्चाई कितनी है यह तो बताना मुश्किल है लेकिन कहीं ना कहीं यह तो माना जा सकता है कि जो मुस्लिम शासक बाहर से आये थे. वह अपने साथ इतने मुस्लिम तो नहीं लाये होंगे.
मुस्लिमों ने हिन्दुओं को मुस्लिम बनाने का गन्दा खेल भारत में खूब खेला है.
सैय्यद आदम बन्नोरी पर है यह आरोप
सन 1843 में सैय्यद आदम बन्नोरी के खानगाह में एक हजार व्यक्ति हर समय ठहरा करते थे.
सन 1642 में जब सैय्यद आदम बन्नोरी लाहौर गये थे तो इनके साथ 10 हजार लोग गये थे. इस बात को देखकर शाहजहा भी डर गया था. शाहजहा ने सैय्यद आदम बन्नोरी को एक बड़ी राशि देकर हज के लिए भेज दिया था.
पुस्तक में बताया गया है कि यह सूफी हिन्दुओं को मुस्लिम बनाते थे और बाद में इनको पैसे देकर इस्लाम का पाठ पढ़ाया करते थे. सवाल यह है कि इनके पास इतनी भारी मात्रा में धन कहाँ से आता था? तो पुस्तक में साफ़ बताया गया है कि यह धन उन इस्लामिक देशों से भारत में आता था जो भारत में धर्मांतरण का गन्दा खेल करना चाहते थे.
अब एक बात सोचने वाली यह है कि जब भारत में आये हुए मुस्लिम सूफी के पास इतने अधिक हिन्दू क्यों जुट रहे थे? धन के दम पर यहाँ हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जा रहा था. हिन्दुओं को कोई भी अधिकार नहीं दिया गया था और जो लोग मुस्लिम बन रहे थे उनको पैसे मिलते थे. ऐसे में मजबूरन हिन्दुओं को मुस्लिम बनना पड़ रहा था.
ख्वाजा मोहम्मद मासूम
ख्वाजा मोहम्मद मासूम के 9 लाख शिष्य थे. अब आप ही बताओ कि इतने मुस्लिम भारत में कहाँ से आ गये थे? क्या यह लोग भारत के बाहर की सीमा से आये थे? या जादू-टोटके से उत्पन्न किये गये थे? इन 9 लाख लोगों में से 7 हजार लोग जो खास थे उनको खलीफा बनाया गया था. इनका काम था कि यह भारत में जगह-जगह घूमें और हिन्दुओं को मुस्लिम बनायें. पुस्तक में बताया गया है कि इन सूफी के यहाँ 500 व्यक्ति रोज भोजन करते थे. इसी बात से इनकी आय का अनुमान भी लगाया जा सकता है. ख्वाजा मोहम्मद मासूम ने भारत में बड़े स्तर पर धर्मांतरण कराया था.
इसी तरह से सैय्यद अहमद भी बंगाल में हर रोज 1000 लोगों को मुस्लिम बना रहे थे. इस लिहाज से अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कितनी बड़ी संख्या में हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया गया था. इस पुस्तक में यहाँ तक बताया गया है कि खुद शाहजहाँ भी हिन्दुओं को मुस्लिम बनाने पर तुला हुआ था. वह खुद धर्मांतरण के पक्ष में था.
तो इस तरह से साफ़ हो जाता है कि पुस्तक में लिखे तथ्यों की मानें तो मुस्लिम सूफी भारत में काफी सारे धन के साथ इसलिए आये थे क्योकि इस धन के आधार पर ही इनको धर्मांतरण का गन्दा खेल खेलना था.
(आपको यदि इन बातों की जांच करनी हो तो आपको जल्द से जल्द सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित- सूफियों द्वारा भारत का इस्लामीकरण नामक पुस्तक पढ़ लेनी चाहिए.)
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