जब तक जीना, तब तक सीखना’ — अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
ये सब वो बातें है जो तब भी प्रासंगिक और अब भी है , अगर आज भी लोग इन बातों को अपनाये तो सारी समस्याएं जड़ से मिट जाएगी और धर्म के संस्थागत स्वरुप को तोड़ धर्म को अपने वास्तविक रूप में लाने में सहायक होंगी.