आज 4 जुलाई है बहुत ही खास दिन.
आज के दिन ही उदय हुआ था एक नए देश का जिसकी शक्ति और सामर्थ्य का परचम पूरे संसार में फैला हुआ है.
और आज ही के दिन निर्वाण दिवस है एक ऐसे व्यक्तित्व का जिसने न सिर्फ भारत के युवाओं को एक नयी राह दिखाई अपितु विश्व के सबसे शक्तिशाली देश में जाकर वहां के लोगों को भी अपना कायल कर दिया.
जी हाँ आज अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस है और साथ ही है निर्वाण दिवस स्वामी विवेकानंद का.
स्वामी विवेकानंद जो 40 वर्ष भी जीवित नहीं रहे थे पर अपने अलप जीवन काल में वो सन्देश दे गए जिन्हें आज भी हर युवा अपनाना चाहता है.
विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में कलकाता में हुआ था, उनका बचपन का नाम नरेन्द्र था.
11 सितम्बर 1893 को इस तीस वर्षीय युवा साधू ने शिकागो में सर्व धर्म समभाव में जब बोलना शुरू किया तो पूरा अमेरिका भाव विभोर हो उठा.
उनके संबोधन की पहली ही लाइन से उन्होंने करोड़ों अमेरिकियों के दिल में घर कर लिया था.
वो उदगार थे “सम्पूर्ण अमेरिकी वासी भाइयों और बहनो “
आज उनके निर्वाण दिवस पर आपको बताते है विवेकानंद के कुछ विचार जो तब भी युवाओं को एक नयी राह दिखाते थे और आज भी दिखाते है , विवेवानंद के ऐसे विचार जो धर्म के झूठे ठेकेदारों से लेकर स्वार्थी राजनीतिज्ञों , सबको सच का आईना दिखा देंगे .
उठो, जागो और तब तक रुको नही जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये