अभियान

ये एक ही तरीका है भारत को स्वच्छ करने का !

125 करोड़ की आबादी वाले हिंदुस्तान को साफ-सुथरा बनाने के मकसद से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की. उन्होंने 2 अक्टूबर 2014 के दिन महात्मा गांधी की जयंती के खास मौके पर इस मुहिम का आगाज किया था.

स्वच्छ भारत का सपना देखने वाले पीएम ने हर हिंदुस्तानी से इस मिशन में शामिल होकर इसे सफल बनाने की अपील की, क्योंकि वो इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि आम हिंदुस्तानियों के सहयोग के बिना उनका ये सपना कभी साकार नहीं हो सकता.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी स्वच्छता से बेहद प्यार था इसलिए उन्होंने अपने जीवनकाल में हमेशा स्वच्छता पर जोर दिया.

भारत सरकार ने राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, निगमों और सक्रिय लोगों की भागीदारी से स्वच्छ भारत अभियान को साल 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. आपको बता दें कि साल 2019 में पूरा देश गांधी जी की 150वीं जयंती मनाएगा.

क्यों शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान?

भारत चाहे कितनी भी तरक्की क्यों ना कर ले लेकिन आज भी इसकी आबादी का ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण इलाको में रहता है. जहां ना तो शौचालय की सुविधा मौजूद है और ना ही पानी की.

आंकडों के अनुसार आज भी भारत में करीब 72 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण लोग शौच के लिए झाड़ियों के पीछे, खेतों या सड़क के किनारे जाते हैं. जिसके चलते कई तरह की बीमारियों के फैलने का खतरा लगातार बना रहता है और शौच जाते वक्त कई युवतियों के साथ जबरन बलात्कार की खबरें भी सुनने को मिली हैं.

हालांकि ग्रामीण इलाकों की साफ-सफाई और खुले में शौच करने की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए यूपीए सरकार ने साल 1999 में ‘निर्मल भारत अभियान’ शुरू किया था. हालांकि यह अभियान अपने लक्ष्य को हांसिल करने में नाकाम रहा जिसके बाद वर्तमान सरकार ने इसी अभियान को स्वच्छ भारत अभियान में बदलकर पेश किया,

क्या है स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य ?

भारत को छोड़कर दुनिया के बाकी विकसित देशों की स्वच्छता पर गौर करें तो वहां स्वच्छता को लेकर कड़े नियम बनाएं गए हैं इसके अलावा वहां के नागरिक भी स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभाना जानते हैं.

जबकि शहरी भारत के बड़े-बड़े शहरों में रहनेवाले लोग भी साफ-सफाई को लेकर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हैं. यहां लोग सड़क पर बेखौफ होकर गंदगी फैलाते हैं. वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण भारत में साफ-सफाई की कमी को दूर करना एक बड़ी चुनौती है.

प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य है भारत में खुले में शौच की समस्या को रोकना, हर घर में शौचालय का निर्माण कराना, पानी की आपूर्ति करना, गीले और सूखे कचरे का उचित तरीके से खात्मा करना, सड़कों और फूटपाथों की सफाई, अनाधिकृत क्षेत्रों से अतिक्रमण दूर करना और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करना.

हालांकि इस अभियान के अंतर्गत सूखा और गीला कचरा फेंकने के लिए बकायदा नीले और हरे रंग के कचरे के डब्बे सड़कों के किनारे और लोगों के रिहायशी इलाकों में मुहैया कराए जा रहे हैं बावजूद इसके लोगों की सोच को बदलना अब भी सरकार के सामने किसी चुनौती से कम नहीं है.

गौरतलब है कि हमारे देश में स्वच्छता की कमी की समस्या इतनी गंभीर है कि साल 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हांसिल कर पाना बेहद मुश्किल लगता है.

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा इतनी घनी आबादी वाले हिंदुस्तान में प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब हर हिंदुस्तानी स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझेगा और उसके लिए अपना सक्रिय योगदान देगा, क्योंकि स्वच्छता की शुरूआत सबसे पहले अपने घर से ही होती है.

Anita Ram

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Anita Ram

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