अभी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक ट्रेंड शुरू किया गया “सेल्फी विद डॉटर” जिसकी कई लोगों ने काफी प्रशंसा की थी,
कई लोगों द्वारा जमकर आलोचना भी की गयी थी. यह कैम्पेन भारत में कन्या जन्म को बढ़ाने के उद्देश्य से PM मोदी ने शुरू किया था और शायद इस योजना की वजह से ऐसे बदलाव हुए है जो बहुत ज़रूर भी थे.
यह बात बिलकुल सच है कि भारत जैसे देश में भी लोग लड़कियों को लेकर अपनी सोच बदल रहे हैं. ये बात हम नहीं एक रिपोर्ट में सामने आई हैं. जी बिलकुल सही समझा आपने की लोग अब लड़कों से ज्यादा लड़कियों को एहमियत दे रहे हैं.
दबी जुबान से ही सही, लेकिन भारतीय समाज को पुरुष प्रधान माना जाता है.
देश के कई राज्यों और समुदायों में बेटियों को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है. ऐसे देश में पिछले तीन वर्षों के दौरान गोद लिए जाने वाले कुल बच्चों में से 60 फीसदी बेटियां हैं.
भारत में अधिकांश नि:संतान दंपती तथा एकल अभिभावक बेटियों को ही गोद लेते हैं. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु में सबसे ज्यादा बेटियों को गोद लिया गया है. उत्तरप्रदेश तथा हरियाणा इस सूची में सबसे पीछे हैं.
इसी साल अप्रैल से जून 2015 के बीच पूरे देश में बच्चा गोद लेने के 1241 आवेदन दिए गए हैं. इसमें से 718 लोग ऐसे हैं, जो बेटियों को गोद लेना चाहते हैं.
महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश की तुलना में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा बेटियों को गोद लिया गया है. इसके बाद आंध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु का स्थान है.देश में गोद लिए गए कुल बच्चों की संख्या में से 40 फीसदी केवल इन्हीं तीनों राज्यों से हैं.
सर्वाधिक कम लिंगानुपात वाले राज्यों हरियाणा, बिहार तथा उत्तर प्रदेश में भी बेटियां गोद लेने की संख्या बढ़ती जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हैं. पहला कारण तो यह है कि बेटियां माता-पिता के अधिक नजदीक होती हैं। यानी माता-पिता के प्रति उनका स्नेह तथा लगाव ज्यादा होता है. दूसरा कारण है गोद लेने के लिए बेटों की अनुपलब्धता।
गोद लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी
-2009 में 2500 बच्चों को गोद लिया गया था.
-2010 में यह संख्या 6000 तक पहुंच गई.
-लेकिन 2013 और 2014 में यह संख्या गिरी और दोनों वर्षों में गोद लेने वाले बच्चों की संख्या में 2000 की गिरावट दर्ज हुई.
भारत में इस समय गोद देने वाली 409 एजेसियां कार्यरत हैं.
बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में अभी छह से आठ महीनों का समय लग रहा है पर इन सब में सबसे अच्छी बात यह है कि लोग अब लड़किया गोद लेने के बारे में ज्यादा सोचते हैं.
मगर इन सब से अलग एक बात यह है कि सरकार द्वारा लायी गयी हर नीति का विरोधियों द्वारा विरोध होना तो तय लेकिन ऐसे बदलाव होते है तो यह देश के लिए ही फायदेमंद हैं.
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