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आखिर क्यों दिल्ली के मंत्री को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा – मामला बिगड़ता देख मंत्री को भागना पड़ा

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार हर बात को लेकर या तो केंद्र सरकार को जिम्मेदार बता देती है या जब कुछ नहीं मिलता तो वह तुरंत कोर्ट के पास चली जाती है.

लेकिन शायद अब अरविंद केजरीवाल कुछ भी करें या किसी को भी समस्याओं के चलते जिम्मेदारी दें लेकिन छोटी छोटी बातों के लिए कोर्ट नहीं जाने वाले हैं.

बीते दिनों ऐसा ही एक वाक्या सामने आया जब दिल्ली के अन्दर जाट आन्दोलन की वजह से पानी की भारी किल्लत हो गयी थी.

अब दिल्ली सरकार ने इस समस्या के हल के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

क्या था पूरा मामला

बता दें कि जाट आंदोलनकारियों ने दिल्ली को पानी सप्लाई करने वाली मुनक नहर को बंद कर दिया था. सोमवार सुबह आर्मी ने 4 घंटे में नहर से सप्लाई बहाल कर दी.  इसी नहर पर आंदोलनकारियों के कब्जे के चलते पानी संकट के आसार देखते हुए दिल्ली सरकार शनिवार रात सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी. उसने कोर्ट से केंद्र सरकार को मामले में हल निकालने के लिए ऑर्डर देने की अपील की थी.

तब कोर्ट ने क्या कहा

सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री मिश्रा की मौजूदगी की ओर इशारा करते हुए कहा-

”आप लोग सरकारों के लेवल पर हल निकालने की बजाय सुप्रीम कोर्ट आ जाते हैं. आप लोगों को सब थाली में सजा हुआ चाहिए. यह दो सरकारों के बीच टकराव है. आपको मिलकर मामले का हल निकालना चाहिए. आपके मंत्री फील्ड में जाने की बजाय कोर्ट में बैठे हैं. आप लोग एसी चैम्बर्स में आराम करते हैं और ऑर्डर कोर्ट से चाहते हैं.”

कहते हैं कि कोर्ट की डांट का असर मंत्री जी पर गहरा हुआ है.

किसी को भी कोर्ट से यह उम्मीद नहीं थी. सभी मंत्री और कपिल मिश्रा तो यहाँ हल मिलेगा इस उम्मीद से आये थे. कोर्ट केंद्र सरकार को कुछ बोलेगी और बात सीधे-सीधे प्रधानमंत्री तक जाएगी लेकिन केजरीवाल द्वारा फेंकी गयी, यह गेंद उन्हीं को आउट कर वापस लौट आई है.

अब दिल्ली की जनता को किये गये वादों को तो सरकार भूल ही गयी है और इधर-उधर के मामलों में उलझकर सिर्फ अपना वक़्त ही काट रही है. आम जनता समझने लगी है कि हो सकता है यह सरकार दिल्ली के इतिहास की एक बदनाम सरकार के रूप में अपना कार्यकाल खत्म करें.

वैसे अभी सरकार में अनुभव की कमी साफ़ झलक रही है.

पार्टी के अन्दर लालची और पद के भूखे लोगों की भरमार है जो सही वक़्त का इंतज़ार कर रहे हैं और आम जनता के लिए बनाई जा रही योजनाओं पर सिर्फ एसी कमरों के अन्दर बैठकर बातचीत ही हो रही है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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