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राम जेठमलानी हों या कपिल सिब्बल अब लाइन नहीं तोड़ पाएंगे क्योंकि

सुप्रीम कोर्ट

अब राम जेठमलानी हों या कपिल सिब्बल, कोई भी नामी गिरामी वकील अपने रूतबे का इस्तेमाल कर कोर्ट से मनमानी तारीख नहीं हासिल कर पाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने साफ कर दिया है कि अब ये सब नहीं चलने वाला. आम हो या खास सभी को लाइन में आना होगा.

नहीं तो होता क्या था कि सुप्रीम कोर्ट के नामी-गिरामी वकील अपने अमीर और मशहूर मुवक्किलों के लिए मनमुताबिक सुनवाई की तारीख हासिल कर लेते हैं. माना जाता है कि यहां वकीलों के साथ उनके कद के हिसाब से बर्ताव किया जाता है. कोर्ट में उनके कद देखकर तारीखे दी जाती थी. जो जितना बड़ा वकील उतनी जल्दी तारीख. जबकि अन्य वकील अपने केस पहले पंजीकृत करने के बावजूद भी महीनों महीनों तारीखों का इंतजार करते रहते थे.

देश की सबसे बड़ी अदालत में जारी यह ऐसा चलन है, जो संविधान द्वारा प्रदान किए कानून के समक्ष समानता के अधिकार की कानून के मंदिर में ही नए अवहेलना करता है.

अब जब नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जे एस खेहर की नजर इस पर पड़ चुकी है तो उम्मीद है कि बहुत जल्द उनकी अगुआई में ये सिस्टम बदल सकता है.

आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायाधीश जे एस खेहर ने कमान संभालने के बाद इस बात पर जोर दिया है कि जुडिशल प्रक्रिया में सबके प्रति समानता बरती जाए. वे कुछ वकीलों को यह साफ-साफ कह चुके हैं कि उनके अमीर मुवक्किलों को लाइन तोड़कर आगे आने की सुविधा नहीं मिलेगी.

सुप्रीम कोर्ट में इस बदलती परंपरा का सबसे पहला निशाना बने देश के सबसे मशहूर वकीलों में शुमार राम जेठमलानी.

हुआ यूं कि जेठमलानी उपहार कांड में दोषी करार दिए गए कारोबारी गोपाल अंसल के लिए पेश हुए थे. जेठमलानी ने कोर्ट से दरख्वास्त की कि अंसल को मिली सजा को घटाने से जुड़ी याचिका पर अर्जेंट सुनवाई हो. लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया.

यानी अब राम जेठमलानी और उनके मुवक्किल को भी प्रोपर रास्ते से आना होगा.