नैतिकता के हवलदारों के मुहं पर करारा तमाचा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा पोर्न देखना गुनाह नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पोर्न/एडल्ट वेब साइट्स पर किसी तरह का बैन नहीं लगाया जायेगा.
इंदौर के याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि इस तरह की साइट्स पर बैन लगाना मौलिक अधिकार का हनन होगा.
इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन जज ने कहा था कि इन्टरनेट पर व्यस्क सामग्री और पोर्न की रोकथाम के लिए कानून बनाया जायेगा.
उसी याचिका पर इस बार फिर से सुनवाई हुयी तो नए जज HL दत्तु ने कहा कि इस तरह की साइट्स पर रोक का मतलब है व्यक्तिगत आज़ादी के मौलिक अधिकार को छीनना.
कोई व्यक्ति अपने घर के भीतर क्या देखता है इस पर रोक लगाना न सिर्फ अतार्किक है बल्कि कानूनन भी गलत है .
जज ने अपने फैसले में कहा कि बैन लगाने के बाद कोई व्यक्ति आकर सवाल करे कि चारदीवारी के भीतर मैं क्या देखता हूँ क्या नहीं इस पर कोई रोक कैसे लगा सकता है, और अगर कोई रोक लगता है तो वो सही कैसे है.
इसी प्रकार सोशल मीडिया साइट्स पर भी आपत्तिजनक सामग्री पर रोक लगाने के मामले में कोर्ट ने कहा कि गूगल, फेसबुक, और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सर्वर विदेशों में है जो वहां के कानून के अंतर्गत आते है इसलिए उनका डाटा स्कैन नहीं किया जा सकता और ना ही रोक लगायी जा सकती है.
इसके उपाय के लिए इन कंपनियों को अपने सर्वर भारत में भी रखने को कहा जाएगा जिससे हर आपतिजनक सामग्री पर नज़र रखी जा सके.
पोर्न पर बैन ना लगने की खबर से संस्कृति के ठेकेदारों को जहाँ बड़ा धक्का पहुंचा है वहीँ युवाओं में ख़ुशी की लहर है. ये फैसला अब हम आप पर छोड़ते है कि कोर्ट ने पोर्न साइट्स पर बैन नहीं लगाने की बात सही की है या गलत .
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